Hindi, asked by kushagra2379, 4 months ago

मझेपण प्रस्तुत कविता में एक गाँव का वर्णन किया गया है।
विश
1.
घर सुघर गोबर-लिपे आँगन सँवारे।
सरल, सीधे और सच्चे लोग सारे,
यह पुराना मस्त हुआ और पिलखन,
यह हमारा गाँव, प्यारा गाँव है।
झूमते हैं बाग, उपवन खेत प्यारे,
सभी चाचा और ताऊ हैं हमारे।
गाँव की चौपल का यह नीम बूढा,
पिता की भी याद से पहले खड़ा है।
सघन छाया में बिछी हैं खाट कितनी,
इन जड़ों पर बैठकर मैंने पढ़ा है।
ये गली-गलियार सँकरे और टेढ़े,
जहाँ चर्चे आपसी झगड़े-बखेड़े।
खिलखिलाहट हास्य से भरपूर पनघट,
यह उफनती जिंदगी पागल अखाड़े
उधर वृक्षों से घिरा पोखर सुहाना,
भर दुपहरी नित जहाँ डुबकी लगाना।
आज भी अच्छी तरह हैं याद वे दिन,
काग़ज़ों की किश्तियाँ घंटों चलाना।
और पोखर निकट शिव मंदिर पुराना,
शिखर जिसका आज भी लगता सुहाना
ये नवेली क्यारियाँ, चलते हुए हल,
घिरे बादल, बीज का बोना-बुआना।
भूलने की चीज़ क्या छाँव है!
यह हमारा गाँव, प्यारा गाँव है।​

Answers

Answered by Sasmit257
1

Answer:

घर सुघर गोबर-लिपे आँगन सँवारे।

सरल, सीधे और सच्चे लोग सारे,

यह पुराना मस्त हुआ और पिलखन,

यह हमारा गाँव, प्यारा गाँव है।

झूमते हैं बाग, उपवन खेत प्यारे,

सभी चाचा और ताऊ हैं हमारे।

गाँव की चौपल का यह नीम बूढा,

पिता की भी याद से पहले खड़ा है।

सघन छाया में बिछी हैं खाट कितनी,

इन जड़ों पर बैठकर मैंने पढ़ा है।

ये गली-गलियार सँकरे और टेढ़े,

जहाँ चर्चे आपसी झगड़े-बखेड़े।

खिलखिलाहट हास्य से भरपूर पनघट,

यह उफनती जिंदगी पागल अखाड़े

उधर वृक्षों से घिरा पोखर सुहाना,

भर दुपहरी नित जहाँ डुबकी लगाना।

आज भी अच्छी तरह हैं याद वे दिन,

काग़ज़ों की किश्तियाँ घंटों चलाना।

और पोखर निकट शिव मंदिर पुराना,

शिखर जिसका आज भी लगता सुहाना

ये नवेली क्यारियाँ, चलते हुए हल,

घिरे बादल, बीज का बोना-बुआना।

भूलने की चीज़ क्या छाँव है!

यह हमारा गाँव, प्यारा गाँव है।

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