malbe kai malik ki mul samvedna
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मोहन राकेश द्वारा रचित कहानी 'मलबे का मालिक' के अंतर्गत सामाजिक और राष्ट्रीय परिपेेक्ष्य की आड़ में व्यक्तिगत स्वार्थ की वृत्ति किस प्रकार बसे हुए घर को तहस- नहस कर मलबे में परिवर्तित कर देती है, यह बताया है।
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