man ek bartan nahi hai jise bhara Jana hain balki ek jwala hai jise prajaulit kiya hai Plutarch
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निबंध
मन एक बर्तन नहीं है, मन एक ज्वाला है
न जाने रोज़ हमारे मन में कितने विचार आते है. यह सच बात है की मन एक बर्तन नहीं है, मन एक ज्वाला है. जो मनुष्य खुद जलाता है. हम रोज न जाने कितनी बातें सोचते है परन्तु हम सिर्फ वाही कार्य करते हैं जो हमारे मन को अच्छी लगाती है. मन एक खली बर्तन जैसा तब होता है जब हम नकारात्मक सोच रखते हो और कोई भी कार्य ना कर पाने की सोच रखते हो तब शायद हमारा मन एक खली बर्तन जैसा होता है. हम यह जानते है की एक खली बर्तन का कुछ काम नहीं होता इसलिए वो हमारे लिए बेकार होता है. इशी प्रकार जब हमारा मन कुछ नहीं सोचता तो वह भी एक खली बर्तन सामान ही हुआ हमें ज़िन्दगी में कुछ करने की सोचना चाहिये मन को हमें काबू में रखना चाहिये तभी हम ज़िन्दगी में कुछ कर सकते है. हमें अपने मन को एक ज्वाला की तरह बनाना चाहिये शक्तिशाली और ऊर्जा से भरपूर हमें ज़िन्दगी में कुछ करने की सोचना चाहिये मन को सकारात्मक सोच से भर देना चाहिये तभी हम ज़िन्दगी में कुछ कर पाएंगे. हमें समाज के साथ चलना चाहिये समझ के लिए क्या आचा है क्या बुरा है यह सोच कर हमें अपने मन को चलना चाहिये और ज़िन्दगी में कुछ कर दिखने का हौसला बनाये रखना चाहिये. हमें अपने मन को लक्ष्य् की ओरे अग्रसर रखना छैया और लक्ष्य् प्राप्ति की ओरे बढ़ते रेहाना चाहिये तभी हम अपने मन को एक ज्वाला की तरह बना पाएंगे .
मन एक बर्तन नहीं है, मन एक ज्वाला है
न जाने रोज़ हमारे मन में कितने विचार आते है. यह सच बात है की मन एक बर्तन नहीं है, मन एक ज्वाला है. जो मनुष्य खुद जलाता है. हम रोज न जाने कितनी बातें सोचते है परन्तु हम सिर्फ वाही कार्य करते हैं जो हमारे मन को अच्छी लगाती है. मन एक खली बर्तन जैसा तब होता है जब हम नकारात्मक सोच रखते हो और कोई भी कार्य ना कर पाने की सोच रखते हो तब शायद हमारा मन एक खली बर्तन जैसा होता है. हम यह जानते है की एक खली बर्तन का कुछ काम नहीं होता इसलिए वो हमारे लिए बेकार होता है. इशी प्रकार जब हमारा मन कुछ नहीं सोचता तो वह भी एक खली बर्तन सामान ही हुआ हमें ज़िन्दगी में कुछ करने की सोचना चाहिये मन को हमें काबू में रखना चाहिये तभी हम ज़िन्दगी में कुछ कर सकते है. हमें अपने मन को एक ज्वाला की तरह बनाना चाहिये शक्तिशाली और ऊर्जा से भरपूर हमें ज़िन्दगी में कुछ करने की सोचना चाहिये मन को सकारात्मक सोच से भर देना चाहिये तभी हम ज़िन्दगी में कुछ कर पाएंगे. हमें समाज के साथ चलना चाहिये समझ के लिए क्या आचा है क्या बुरा है यह सोच कर हमें अपने मन को चलना चाहिये और ज़िन्दगी में कुछ कर दिखने का हौसला बनाये रखना चाहिये. हमें अपने मन को लक्ष्य् की ओरे अग्रसर रखना छैया और लक्ष्य् प्राप्ति की ओरे बढ़ते रेहाना चाहिये तभी हम अपने मन को एक ज्वाला की तरह बना पाएंगे .
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