मने अपनी जू
नयर राय हॉक सन 1985 म मणप ् ुर म खेल। तब म 'सफ) 16 साल का
था-देखने म दबला-पतला और छोटे ब2चे जैसा चेहरा…। अपनी द ु बल कद-काठ7 के बावज ु ूद मेरा
दबदबा था 9क कोई मुझसे 'भड़ने क को'शश नहं करता था। म बहुत जुझा@ था-मैदान म भी
और मैदान से बाहर भी। 1986 म मुझे सी
नयर टम म डाल Bदया गया और म बोDरया-EबFतरा
बाँधकर मुंबई चला आया। उस साल मने और मेरे बड़े भाई रमेश ने मुंबई लग म बेहतरन खेल
खेला-हमने खब ध ू म मचाई। इसी के चलते मेरे अंदर एक उMमीद जागी 9क म ू ुझे ओलंOपक
(1988) के 'लए नेशनल क प से बुलावा ज़@र आएगा, पर नहं आया। मेरा नाम 57 खलाUड़यV
क 'लFट म भी नहं था। बड़ी मायूसी हुई। मगर एक साल बाद ह ऑलOवन ए'शया कप के
क प के 'लए मुझे चन 'लया गया। तब से लेकर आज तक मने पीछे म ु ुड़कर नहं देखा।
(I) धनराज ने 9कस उX म जू
नयर राय हॉक खेल। (1)
(a) 12 वष)
(b) 14 वष)
(c) 16 वष)
(d) 18 वष)।
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