Hindi, asked by Wikkinakki, 21 days ago

"मन हरे हार है मन के जीते जीत" यह पंकित
किसने लिखि है? आप इस पंकित से क्या
समझते हैं?

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Answers

Answered by umaghatak3
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Answer:

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी।

Explanation:

मन ही सभी प्रकार की चिंता भावना के उत्पन्न स्थान है।

इसलिए मन अगर हार मान ले तो हमारी हार निश्चित है और अगर मन जीतने की उम्मीद रखती है तो हमारी जीत भी निश्चित है।

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