मन्न्सब्दारी प्रथा क्या थी अकबर के काल मे बताओ
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सम्राट् अकबर सेना के महत्त्व को भली-भांति जानता था. उसे पता था कि एक स्थायी और शक्तिशाली सेना के अभाव में न तो शांति स्थापित की जा सकती है और न ही साम्राज्य की रक्षा और विस्तार किया जा सकता है. अकबर से पूर्व जागीदारी प्रथा के आधार पर सेना एकत्र करने की प्रथा प्रचलित थी. उसने देखा कि जागीरदार निश्चित संख्या में न घोड़े रखते हैं और न ही घुड़सवार या सैनिक रखते हैं. इसके विपरीत वे सरकारी धन को अपनी विलासता पर खर्च कर लेते थे. अकबर ने जागीरदारी प्रथा के स्थान पर मनसबदारी प्रथा (Mansabdari System) के आधार पर सेना को संगठित किया. मनसबदारी सेना को संगठित करने की ऐसी व्यवस्था थी जिसमें प्रत्येक मनसबदार अपनी-अपनी श्रेणी और पद (मनसब) के अनुसार घुड़सवार सैनिक रखता था. इस व्यवस्था में मनसबदार सम्राट् से प्रति माह नकद वेतन प्राप्त करता था.
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hii
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