मनीषिणः।
मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः,
हितैषिणः सन्ति न ते
सुहृच्च विद्वानपि दुर्लभो नृणाम्,
यथौषधं स्वादु हितं
च दुर्लभम ॥
संदर्भ सहित हिन्दी अनुवाद
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मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः हितैषिणः सन्ति न् ते मनीषिणः |
सुहृच्च विद्वानपि दुर्लभो नृणां यथौषधं स्वादु च दुर्लभं ||
भावार्थ - जो व्यक्ति विद्वान होते हैं उनमें जनसामान्य की सहायता
करने की भावना का अभाव होता है तथा जो व्यक्ति सदैव दूसरों की
सहायता के लिये सदैव तत्पर रहते हैं वे विद्वान नहीं होते हैं | परन्तु ऐसे
व्यक्ति जो दयालु होने के साथ विद्वान भी हों उसी प्रकार दुर्लभ होते हैं
जिस प्रकार स्वादिष्ट परन्तु प्रभावशाली औषधि बहुत ही दुर्लभ होती है |
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