Hindi, asked by vinaybiradar6b, 3 days ago

"मनुष्य केजीिन मेंसोना अवधक महत्िपूर्णहैया लोहा" इस विषय पर (१२० से१५० शब्दों) का एक अनुच्छेद वलविए और उसमेंआपकेविचार भी बताइए। ​

Answers

Answered by aumsharma268
0

Answer:

No results found for "मनुष्य के जीिन में सोना अधधक महत्िपूर्ण हैया लोहा" इस विषय पर (१२० से१५० शब्दों) का एक अनुच्छेद वलविए और उसमेंआपकेविचार भी बताइए।.

Results for मनुष्य के जीिन में सोना अधधक महत्िपूर्ण हैया लोहा इस विषय पर (१२० से१५० शब्दों) का एक अनुच्छेद वलविए और उसमेंआपकेविचार भी बताइए।

Answered by BrainlySrijanll
3

Answer:

इतिहास में यह युग पाषाण युग तथा कांस्य युग के बाद का काल है। पाषाण युग में मनुष्य की किसी भी धातु का खनन कर पाने की असमर्थता थी। कांस्य युग में लोहे की खोज नहीं हो पाई थी लेकिन लौह युग में मनुष्यों ने तांबे, कांसे और लोहे के अलावा कुछ अन्य ठोस धातुओं की खोज तथा उनका उपयोग भी सीख गया था। विश्व के भिन्न भागों में लौह-प्रयोग का ज्ञान धीरे-धीरे फैलने या उतपन्न होने से यह युग अलग समयों पर शुरु हुआ माना जाता है लेकिन अनातोलिया से लेकर भारतीय उपमहाद्वीप में यह १३०० ईसापूर्व के आसपास आरम्भ हुआ था, हालांकि कुछ स्रोतों के अनुसार इस से पहले भी लोहे के प्रयोग के कुछ चिह्न मिलते हैं।[1][2]

कोरिया के सिल्ला राज्य के काल से लौह-कवच जो कोरियाई राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा हुआ है

इस युग की विशेषता यह है कि इसमें मनुष्य ने विभिन्न भाषाओं की वर्णमालाओं का विकास किया जिसकी मदद से उस काल में साहित्य और इतिहास लिखे जा सके। संस्कृत और चीनी भाषाओं का साहित्य इस काल में फला-फूला। ऋग्वेद और अवस्ताई गाथाएँ इसी काल में लिखी गई थीं। कृषि, धार्मिक विश्वासों और कलाशैलियों में भी इस युग में भारी परिवर्तन

\huge\red{➳Ṧřîⅉꫝᾇñ ࿐}

Similar questions