"मनुष्य के जीवन में जो आदतें पड़ जाती हैं, वे किसी-न-किसी रूप में जीवन भर बनी रहती
हैं, इसलिए बचपन से ही मितव्ययिता और बचत की आदतों का विकास आवश्यक है।कुछ बालक
जेब खर्च के लिए मिले धन से ही बचत करते हैं। पैसा बचाकर अपनी-अपनी गुल्लक जल्दी-
जल्दी भरने की उनमें होड़ लगी रहती है। कहा भी गया है कि एक-एक बूंद से सागर भरता है और
एक-एक पैसा एकत्र करने से धन संचय होता है। अत: बालकों को ऐसी प्रेरणा की आवश्यकता है,
जिससे वे नियमित रूप से बचत करने की आदत डालें और अपने लिए अनुकूल योजना को
अपनाकर धन-संचय करते रहें।"
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) मनुष्य में आदतों का विकास कब से होता है?
(ग) बच्चे अपने द्वारा बचत की राशि को कहाँ जमा करते हैं ?
(घ) बूंद-बूंद से सागर भरता है, किस उक्ति के संदर्भ में कहा गया है ?
(ङ) बालकों को कैसी प्रेरणा की आवश्यकता है?
(च) एक-एक पैसा एकत्र करने से क्या होता है ?
Answers
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
►उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा, ‘संचय के लाभ’
(ख) मनुष्य में आदतों का विकास कब से होता है?
► मनुष्य में आदतों का विकास उसके बचपन से ही आरंभ हो जाता है,
(ग) बच्चे अपने द्वारा बचत को राशि को कहाँ जमा करते हैं?
►बच्चे अपने द्वारा बचत की राशि को अपनी गुल्लक में जमा करते हैं।
(घ) बूंद-बूंद से सागर भरता है, किस उक्ति के संदर्भ में कहा गया है?
► बूंद-बूंद से घड़ा भरता है, ये उक्ति धन की बचत करने के संदर्भ में कही गयी है, क्योंकि थोड़ा-थोड़ा धन जमा करने से ही धन संचय होता है।
(ङ) बालकों को कैसी प्रेरणा की आवश्यकता है?
► बालकों को ऐसी प्रेरणा लेनी चाहिये, जिससे उनमें बचत करने की आदत का विकास हो। बचत करने की आदत का विकास होने से वे फिजूलखर्ची से बचेंगे।
(च) एक-एक पैसा एकत्र करने से क्या होता है?
► एक-एक पैसा एकत्र करने से ही धन-संचय होता है।
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Answer:
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