मनुष्य कविता और 'अब कहा दूसरे के दुख से दुखी होने वाली ' पाठ का केंद्रीय भाव एक ही है । सिंधद कीजिए ।
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मनुष्यता कविता में और पाठ अब कहां दूसरों के दुख से दुखी होने वाले का केंद्रीय भाव केवल यही है कि हमें सबको समान दृष्टि से देखना चाहिए और यदि वे संकट में हो तो उनकी सहायता करनी चाहिए, परोपकार करना चाहिए।
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दोनों पाठों में मानवीय गुणों को अपनाने पर बल दिया गया है। इससे सिद्ध होता है कि दोनों ग्रन्थों का केन्द्रीय भाव एक ही है और उदारता, करुणा, समरसता, सहानुभूति जैसे गुणों पर आधारित है।
- 'मनुष्यता' कविता में कवि ने प्रेम, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति, उदारता, त्याग आदि मानवीय गुणों का वर्णन किया है। उन्होंने दधीचि, कर्ण, रंतिदेव आदि के उदाहरण से दूसरों के लिए जीने की प्रेरणा दी है, जबकि पाठ 'अब वे कहाँ हैं जो दूसरों की पीड़ा से दुखी हैं' में लेखक ने प्रकृति, जीवों, मानवीय कष्टों के प्रति चिंता व्यक्त की है।
- दु:खी होने, उनकी सहायता करने, उनके साथ मेल-मिलाप करने तथा अपनी बात की पुष्टि करने तथा लोगों को प्रेरित करने के लिए सुलेमान, नूह, उसके पिता, माता आदि का उदाहरण देने पर बल दिया गया है।
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