मनुष्य में वर्णान्धता की वंशागति को समझाइये। यदि वर्णान्ध पुरुष सामान्य स्त्ती से विवाह करता है तो उनसे उत्पन्न सन्तानों में वर्णान्धता की वंशागति स्पष्ट कीजिये।
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यदि सामान्य स्त्री का विवाह वर्णान्ध पुरुष से हो जाये तो उसके सभी पुत्र एवं पुत्रियाँ सामान्य होती हैं, परन्तु वर्णान्ध पिता की इस पुत्री का विवाह यदि सामान्य दृष्टि वाले पुरुष से हो तब उनकी संतानों में पुत्र वर्णान्ध होते हैं।वर्णान्धता का विशिष्ट लक्षण पुत्री के माध्यम से द्वितीय पीढ़ी में हस्तांतरित होता है, ऐसी वंशागति को क्रिस-क्रॉस (Cris-Cross) वंशागति कहते हैं, ऐसी स्त्री जो स्वयं रोगी नहीं है किन्तु दूसरी पीढ़ी में रोग के जीनों को हस्तांतरित करने में माध्यम बनती है, उसे वाहक कहते हैं।वर्णान्धता स्त्री का पिता सदैव ही वर्णान्ध होता है तथा उसकी माता रोग की वाहक होती है। अतःइससे निष्कर्ष निकलता है <br> > दृष्टि में रंगों की पहचान एवं लिंग सहलग्न लक्षण है, जिसका जीन - गुणसूत्र X पर स्थित होता है, किन्तु गुणसूत्रों में इसके युग्मविकल्पी या .. एलील का अभाव होता है।<br> > वर्णान्धता रोग पुरुषों में अधिक पाया जाता है। पुरुषों में केवल एक x गुणसूत्र होता है अत: पुरुषों में x गुणसूत्र पर रंग भेद करने वाले सामान्य जीन अनुपस्थित होने पर यह रोग हो जाता है। पुरुष इस रोग के वाहक नहीं होते है। <br> > जबकि स्त्रियों में दो XX क्रोमोसोम होते हैं अर्थात् पुरुषों में रंगों की पहचान का लक्षण अभिव्यक्त होने के लिए जीन केवल एक ही गुणसूत्र महाताहजयाक स्त्रियों में इसके लिए दोनों गुणसूत्रों में जीन होते हैं। एक X क्रोमोसोम पर यह जीन पाए जाने पर वह स्त्री रोग से पीड़ित न होकर रोग की वाहक होगी। <br> > रंगों की पहचान कर सकने का गुण वर्णान्धता पर प्रभावी है इसलिए स्त्री के दोनों गुणसूत्रों पर वर्णान्धत के जीन होने पर ही वह वर्णान्धहोगी, जबकि वर्णान्ध पुरुषों में केवल एक जीन होने पर भी वह वर्णान्ध होगा। <br>- वर्णान्ध स्त्रियों के पिता तथा पुत्र वर्णान्ध होते हैं। यदि वर्णान्ध स्त्रियों के पिता वर्णान्ध होते हैं, तब भी इसकी पुत्रियाँ भी वर्णान्ध होंगी। वर्णान्ध पिता की सामान्य दृष्टि वाली पुत्रियों से उत्पन्न लड़कों में से आधे सामान्य दृष्टि वाले एवं आधे वर्णान्ध होते हैं।