मनुष्य-रूपी तलवार की धार चरित्र है। अगर इस धार में तीक्ष्णता है तब वह तलवार भले ही लोहे की हो, अपने काम में अधिक कारगर सिद्ध होती है। इसके विपरीत, यदि इस तलवार की धार मोटी है, भद्दी है तब वह तलवार, सोने की ही क्यों न हो, हमारे किसी काम की नहीं हो सकती है। इसी प्रकार, यदि किसी का चरित्र नष्ट हो गया हो, तब वह मुर्दे से भी बदतर है, क्योंकि मुर्दा तो किसी और मनुष्य का बुरा नहीं कर सकता, पर एक चरित्र भ्रष्ट मनुष्य अपने साथ रहने वालों को भी अपने ही रास्ते पर ले जाकर अवनति एवं सत्यानाश के भयावने गड्ढे में ढकेल सकता है।
प्रस्तुत गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) प्रस्तुत गद्यांश का उपर्युक्त शीर्षक लिखिए।
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तब वह तलवार भले ही लोहे की हो, अपने काम में अधिक कारगर सिद्ध होती है। इसके विपरीत, यदि इस तलवार की धार मोटी है, भद्दी है तब वह तलवार, सोने की ही क्यों न हो, हमारे किसी काम की नहीं हो सकती है। इसी प्रकार, यदि किसी का चरित्र नष्ट हो गया हो, तब वह मुर्दे से भी बदतर है, क्योंकि मुर्दा तो किसी और मनुष्य का बुरा नहीं कर सकता, पर एक चरित्र
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