मनुष्यता का मूल भाव..........
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मनुष्यता का काव्य सौंदर्य है
भाव पक्ष और कला पक्ष
भाव पक्ष और कला पक्ष
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मनुष्य स्वार्थी नहीं होना चाहिए। उसे दूसरों की पीड़ा को देखकर हमदर्दी होनी चाहिए वह ही सचा मनुष्य है। व्यक्ति को दूसरों के लिए जीना तथा मरना चाहिए नाकि पशुओं जैसे व्यवहार। सही राह में अपने साथियों को लेकर चलना चाहिए तथा अपनी और साथियों कि भी गलतियाँ सुधारनी चाहिए।
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