मनुष्यता का दूसरा नाम -परोपकार please give me a essay on this this topic in hindi I will mark him/her as brainlist
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जीव दया दिखाना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है। परोपकार भी मनुष्य धर्म का ही एक हिस्सा है। परोपकार का अर्थ उपकार करना होता है। जरूरतमंद की हर सम्भव सहायता करना ही परोपकार है। सामान्य शब्दों में कहे तो दान करना ही परोपकार है। परोपकार करने वाला परोपकारी होता है। “परोपकार” दो शब्दों “पर” और “उपकार” से मिलकर बना है। “पर” का अर्थ दूसरों का जबकि “उपकार” का अर्थ मदद करना होता है। अर्थात दूसरों की मदद करना ही परोपकार (Philanthropy) है।
परोपकार की भावना दया और करुणा से आती है। अगर मनुष्य में दूसरों के प्रति दया है तो वह मनुष्य परोपकारी होता है। परोपकारी होना एक सज्जन पुरुष की निशानी है। मानव कल्याण की सोच रखने वाला मनुष्य परोपकारी होता है। परोपकारी व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है जिस कारण वह निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की सेवा करता है।
मनुष्य कर्तव्य का निर्वाह ही परोपकार है। ईश्वर भी उसकी सहायता करते है जो दूसरों की सहायता करते है। परोपकार दिखाकर शत्रु के ह्रदय को भी आपके प्रति कोमल किया जा सकता है। परोपकार में शक्ति होती है। एक आदर्श जीवन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। परोपकार करने पर परम् आनंद की अनुभूति होती है। जो सुख दूसरों की भलाई करने में है वो कही नही है।
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