Hindi, asked by mablekutinha, 6 months ago

मनुष्यता कविता में पशु पर्वत से कवि का क्या तात्पर्य है​

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Answered by sadman46
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इन्होंने मानव सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। परमदानी राजा रंतिदेव ने स्वयं क्षुधा से व्याकुल होने पर भी अपना भरा थाल दान कर दिया था। महर्षि दधीचि ने वृत्रासुर से देवों की रक्षा करने हेतु वज्र बनाने हेतु अपनी हड्डियों का दान किया था। गांधार देश के राजा ने परमार्थ के लिए अपना मांस तक दान कर दिया था। दानवीर कर्ण ने तो अत्यंत प्रसन्नता से अपनी खाल तक दे दी थी। ऐसे वीर पुरुष अपने नश्वर शरीर की परवाह किए बगैर मानव जाति का कल्याण कर इतिहास के पन्नों में अमर हो गए हैं। ऐसे ही प्राणी मनुष्य कहलाने योग्य हैं जो मनुष्य के लिए जीता है और मनुष्य के लिए मरता है।

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