मनोवैज्ञानिक परीक्षण किसे कहते हैं? अच्छे मनोवैज्ञानिक परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
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मनोवैज्ञानिक परीक्षण” (साइकोलॉजिकल टेस्टिंग) टेस्टों की एक ऐसी श्रंखला या सीरीज होती है जिसमें कई प्रकार के “मनोवैज्ञानिक टेस्ट” (साइकोलॉजिकल टेस्ट) किये जाते हैं। ये टेस्ट विशेष रूप से किसी व्यक्ति में उसके व्यवहार की जांच करते हैं, जिसे “सेंपल ऑफ बिहेवियर” कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति को कोई काम दिया जाता है, तो उस काम पर व्यक्ति के प्रदर्शन को व्यवहार का सेंपल या उदाहरण कहा जाता है। व्यवहार के कुछ सेंपल ऐसे टेस्ट के द्वारा प्राप्त किये जाते हैं जिनमें मरीज को कुछ लखना-पढ़ना होता है। ये मनोवैज्ञानिक परीक्षण के सबसे आम टेस्टों में से हैं। टेस्टों में मरीज से पेंसिल और पेपर से काम करवाया जाता है, जिससे मनोवैज्ञानिक परीक्षण के परिणाम निकाले जाते हैं।
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ऐसा माना जाता है कि अच्छी तरह से किया गया टेस्ट व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक रचना को दर्शाता है, जैसे स्कूल के किसी विषय में प्रदर्शन, संज्ञानात्मक क्षमता, योग्यता, भावनात्मक और व्यक्तित्व स्थिति आदि। टेस्ट के रिजल्ट में किसी प्रकार का बदलाव, मरीज की मनोवैज्ञानिक रचना में बदलाव दर्शाता है। हालांकि जिस मनोवैज्ञानिक रचना का टेस्ट किया गया है उसी के बदलाव का पता लगाया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक परीक्षण के पीछे के विज्ञान को “साइकोमेट्रिक्स” (Psychometrics) कहा जाता है।