Hindi, asked by shivam8272sk, 9 months ago

manav Seva hi Sachin Seva hai 250-350 words me​

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Answered by riku65
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मेरे विचार में मानव होने का अर्थ है ऐसा मनुष्य जो सारी उम्र मानवता की सेवा करे। संपूर्ण जीवन अपनी सुख-सुविधाओं को पाने के लिए प्रयत्न करना मानव का धर्म नहीं है। मानव का जन्म मानवता की सेवा के लिए हुआ है।

प्राचीन समय से ही ऋषि-मुनि सेवा करने पर ज़ोर देते हैं। सेवा ऐसा भाव है जिसे करने वाला भी सुख पाता है और जिसकी की जाती है वह भी सुख पाता है। सेवा से किसी का अहित नहीं होता बल्कि दो अनजान प्राणी प्रेम के बंधन में बंध जाते हैं। यही सच्ची ईश्वर की सेवा है।

मनुष्य सारी उम्र अपनी सुख-सुविधा के लिए प्रयासरत्त रहता है। इस प्रकार वह स्वार्थी हो जाता है। ऐसे मनुष्य को मनुष्य की श्रेणी में भी नहीं रखा जाता। कहा जाता है, जो मनुष्य दूसरे के दुखों को दूर करने के उपाय किया करता है, वही सच्चा मनुष्य कहलाने का अधिकारी है।

वही जीवन सही अर्थों में मानव जीवन को सार्थकता देता है। परोपकार, सेवाभाव, प्रेम, कर्मठता, दृढ़ निश्चयी एक मानव के जीवन को सार्थक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः हमें चाहिए कि इन गुणों को अपनाकर अपने जीवन को सार्थक बनाएँ और मानवता का कल्याण करें।

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