Mandsaur Abhilekh jatil Samajik prakriya ki Jhalak kis Prakar Deta Hai chapter 3rd history
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मनुष्य की आवश्यकताएं इतनी अधिक हैं कि वह कभी भी पूरी तरह से स्वावलंबी नहीं हो सकता। अपने उद्देश्यों या जरूरतों को पूरी करने के लिए उसे या तो किसी से सहयोग लेना पड़ता है अथवा संघर्ष करना पड़ता है। समाज के अस्तित्व, अनवरतता के लिए ये प्रवृत्तियां आवश्यक होती है। इन प्रवृत्तियो को ही सामाजिक प्रक्रिया कहते
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