Manushya Ne Prakriti Mein Janm Liya Hai tatha Uske Sanrakshan Mein Pala pada hai Vakya ko spasht kijiye in hindi
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मानव जाति (होमो सेपिएंस) का उद्भव लगभग पच्चीस लाख वर्षों से भी अधिक समय पूर्व हुआ था। उनमें मस्तिष्क अत्यंत विकसित होने के कारण वे सोचने की क्षमता रखते थे और अपने निर्णयों का उपयोग करते थे। मानव ने दो पैरों पर सीधे खड़े होकर चलना शुरू किया जिसके कारण उनके हाथ अपने शारीरिक कार्य करने के लिये स्वतंत्र हो गये।
दूसरे जन्तुओं की तरह मनुष्य भी अपने जीवन के निर्वाह के लिये पूरी तरह से भोजन के लिये पर्यावरण पर निर्भर था। बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य ने पर्यावरणीय संसाधनों को न केवल भोजन के लिये बल्कि दूसरे कार्यों को करने के लिये भी खोजना शुरू किया। पिछली कुछ शताब्दियों में पर्यावरण का दोहन नाटकीय ढंग से इतना बढ़ गया है कि पर्यावरण के गम्भीर रूप से नष्ट होने तथा विघटित होने का खतरा बढ़ गया है। इस पाठ में आप प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और दोहन के बारे में जानने के साथ-साथ यह भी जानेंगे कि इनका अत्यधिक दोहन कैसे किया जा रहा है।