Hindi, asked by vikashnishad995, 9 months ago

Manushya wahi jo manushya ke liye mare nibhandh

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Answered by vikassharma4150
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Answer:

प्रस्तावना

मनुष्य को जैसा आज हम देखते हैं यह विकास के लाखों वर्षों का परिणाम है। हम और कोई नहीं बल्कि इस विशाल ब्रह्मांड का एक छोटा सा हिस्सा हैं जिसके चीजों को एकसाथ रखने और समय-समय पर परिवर्तन लाने के अपने रहस्यमय तरीके हैं।

मनुष्य का विकास

कहा जाता है कि मनुष्य के पूर्वज बंदर जैसे दिखते थे जिनसे वह विकसित हुआ है। चिम्पांजी और गोरिल्ला हमारे निकटतम रिश्तेदार हैं। बहुतायत में इस पर शोध किया गया है कि मनुष्य का विकास कैसे हुआ और विभिन्न शोधकर्ताओं के अलग-अलग सिद्धांतों के नतीज़े काफी हद तक एक समान हैं। सभी सिद्धांतों में चार्ल्स डार्विन द्वारा का सिद्धांत बहुत लोकप्रिय है। उन्होंने अपनी पुस्तक 'द ओरिजिन ऑफ़ स्पेसिज' में विस्तार से इंसान के विकास को वर्णित किया है जो 1859 में प्रकाशित हुई थी। डार्विनवाद सिद्धांत के अलावा विकास के सिंथेटिक और लैमेरिक सिध्द सिद्धांत ने भी लोगों का बहुत ध्यान खींचा है। हालांकि इस विषय पर शोध अभी भी चल रहा है और कई नए निष्कर्ष हर बार प्राप्त किए जाते हैं।

मानव प्रजातियां बंदर से आदमी के रूप तक जाने के समय में काफ़ी विकसित हुई है। इससे पहले मनुष्य कद-काठी काफी बड़ी थी, बड़े कान, तेज दांत और मोटी त्वचा। वह आज की तरह दिखने वाले मनुष्य से पूरी तरह अलग दिखता था। सदियों से मनुष्य लगातार विकसित हुआ और अभी भी शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से विकसित हो रहा है।

मनुष्य के विकास पर नए निष्कर्ष

वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का दावा है कि मनुष्य का विकास अभी भी हो रहा है और 2050 तक एक नई प्रकार की मानव प्रजातियां अस्तित्व में आ जाएंगी। मनुष्य की औसत आयु 100-120 साल तक बढ़ने की संभावना है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि मानव प्रजाति बुढ़ापे में भी बच्चों को जन्म देने में सक्षम हो जाएगी।

अगर हम खुद को देखें तो पता चलेगा कि हम बहुत बदल चुके हैं, विकसित हुए हैं और पिछली शताब्दी में रहने वाले लोगों से काफी अलग भी हैं। उस समय के लोग कृषि गतिविधियां करते हुए विकसित हुए थे जिसमें शारीरिक श्रम शामिल था। इन गतिविधियों में नियमित व्यायाम होने के कारण उनकी अच्छी कद-काठी हुआ करती थी। वे घी, तेल और चीनी से लिप्त अच्छा भोजन खाते थे और कष्टदायक कार्यों में शामिल होते थे। यहां तक कि उन्होंने सारी उम्र बड़ी मात्रा में घी और चीनी खाई तब भी उन्हें दिल की समस्या, मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि जैसी बीमारियां नहीं छू पाई क्योंकि वे मेहनत करने में पसीना बहाते थे। उद्योगों में विकास से इनमें नौकरी कर रहे व्यक्तियों की प्रकृति में बड़ा बदलाव आया है। आज कल के युवा शारीरिक रूप से कमजोर हो गए हैं क्योंकि वे मेज-कुर्सी पर बैठकर नौकरी करना अधिक पसंद करते हैं जहाँ शारीरिक गतिविधियां ना के बराबर है। ऐसी कई बीमारियां देखने को मिली हैं जिन्हें पिछली शताब्दी में कभी सुना भी नहीं था।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति की वजह से ज्यादातर लोग दिन के अधिकांश समय अपने फोन से चिपके रहते हैं। अपने बगल में बैठे लोगों को नजरअंदाज करते हुए लोग अक्सर चैटिंग करना या वीडियो देखना पसंद करते हैं। यह भी विकास का ही एक हिस्सा है। जिस तरह से यह विकसित हो रहा है उसका लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है।

जैसे लोग इन दिनों मोबाइल फोन और टैब पर अपना अधिकांश समय बिताते हैं वैसे ही 2050 तक लोग आभासी वास्तविकता में अपना सबसे अधिक समय खर्च करेंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि मनुष्य निकट भविष्य में कृत्रिम बुद्धि पर भरोसा करेगा और रोबोटों द्वारा उसके दिन-प्रतिदिन के अधिकांश कार्य पूरे होंगे।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति के कारण ये सभी महत्वपूर्ण परिवर्तन होंगे। मनुष्यों के जीवन का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा।

निष्कर्ष

मनुष्य का विकास वास्तव में एक चमत्कार है। प्रारंभ में प्रकृति ने मनुष्य के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। आने वाले वर्षों में ऐसा लगता है कि मनुष्य खुद अपनी इंटेलिजेंस के माध्यम से आगे के विकास के लिए जिम्मेदार होगा। समय के बदलने की संभावना है और हम आशा करते हैं कि जो भी बदलाव हो वह अच्छे के लिए हो।

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