Hindi, asked by tinuomrajankar, 7 months ago

manushyata aur ab kaha dusro ke dukh me dukhi hone vale ka kendriya bhav kya he​

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Answered by bhatiamona
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मनुष्यता और अब कहाँ दूसरो के दुखों में दुखी होने वाले दोनों के केन्द्रीय भाव बताए :

मनुष्यता और अब कहाँ दूसरो के दुखों में दुखी होने वाले दोनों का केन्द्रीय भाव यह है कि आज के समय में मनुष्यता और दूसरों के दुखों में दुखी होने वाला भाव सब खत्म हो गया है | आज कल सब अपने बारे में सोचते है | अब सारी इंसानियत खत्म हो गई है | बहुत काम लोग बच्चे है जो दूसरों के प्रति दया भाव रखते हो |

अब कोई भी दूसरों के दुःख पर कोई परेशान नहीं होता है | आज कल तो मनुष्य जीवों को भी दुखी करने लग गया है | कवि कविता के माध्यम से इंसानियत के गुण को बताना चाहता है | मनुष्य को सब के प्रति दया भावना रखे और परोपकारी बने |

Answered by pousalidolai59
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Answer:

मनुष्यता' कविता के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि हर एक मनुष्य को मानवीय गुणों का पालन करते हुए दूसरों के हित में जीवन यापन करना चाहिए। उन्नति और प्रगति की राहो में एक साथ आगे बढ़ना चाहिए। कवि चाहता है कि हर एक व्यक्ति अपने और अपनों के हितों से पहले दूसरों के हितों के बारे में सोचें।

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