manviya karuna ki divya chamak shirshak ki sarthakta par prakash daliye
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मानवीय करुणा की दिव्य चमक यह पाठ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा लिखा गया है |
इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने ... लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' इसलिए कहा है फादर बुल्के के मन में अपने प्रियजनों के लिए असीम ममता और अपनत्व था। फादर बुल्के का व्यवहार हर व्यक्ति के लिए आत्मीय था | वह सभी के साथ परिवारिक रिश्ते की तरह रहते थे और हंसी मज़ाक के थे | उत्सव में वो बड़ो की तरह सबको आशीर्वाद देते थे |
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रगों में दूसरों के लिए मिठास, प्रभु में आस्था, ममता एवं अपनत्व की साकार प्रतिमा, संकल्पशील, निर्लिप्त, वत्सल हृदय, सात्विक प्रकति आदि के कारण 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' शीर्षक सार्थक'।
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