Hindi, asked by rajeevsharmandim, 1 month ago

manvta pr corona ka keher pr kahani​

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Answered by Navnath007
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कोरोना को लेकर बहुत सारे लोगों के मन में अभी भी यह भय व्याप्त है कि कोरोना का संक्रमण होने के पश्चात् मौत निश्चित है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। अभी तक के आंकड़े देखें तो कोरोना संक्रमण के बाद भी दुनियाभर में हजारों मरीज ठीक हो चुके हैं। हाल ही में एम्स द्वारा मरीजों के लिए जारी जागरूकता दिशा-निर्देश पुस्तिका में स्पष्ट किया गया है कि कोरोना संक्रमित केवल 20 फीसदी मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ती है, जिनमें से कुछ को गहन चिकित्सा निगरानी कक्ष में रखना पड़ता है जबकि 80 फीसदी मरीज घर में आइसोलेशन में रहकर खुद ही ठीक हो जाते हैं। एम्स द्वारा जारी इस पुस्तिका में बताया गया है कि लोगों को कोरोना को लेकर घबराने की नहीं बल्कि सतर्क रहने और भीड़-भाड़ से बचने तथा सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को अपनाने की जरूरत है। एम्स विशेषज्ञों के मुताबिक जिन मरीजों को उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, कैंसर जैसे रोग हैं, उन्हें कोरोना का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे मरीज भीड़-भाड़ से बचें और बार-बार हाथ धोते रहें। एम्स की जागरूकता दिशा-निर्देश पुस्तिका के अनुसार कोरोना वायरस फर्श अथवा जमीन पर कितने समय तक रहता है, इसका कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है लेकिन कुछ अध्ययनों के अनुसार फर्श पर यह वायरस कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक जीवित रह सकता है, जो तापमान तथा परिस्थितियों और फर्श की प्रकृति पर निर्भर करता है। पुस्तिका के मुताबिक अगर फर्श संक्रमित है तो फर्श को संक्रमण रोधी तरल पदार्थ से साफ-सुथरा रखें और सर्दी जुकाम, छींक या बुखार से पीड़ित व्यक्तियों से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रहें। कोरोना से बचाव का सबसे बेहतर उपाय यही है कि साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें और भीड़भाड़ वाली जगहों के साथ-साथ अफवाहों से भी व्यापक दूरी बनाएं।

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