मरीज से मिलने जाते समय कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए
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भारत में मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया की ज़िम्मेदारी है कि वो ये सुनिश्चित करे कि डॉक्टर 'कोड ऑफ़ मेडिकल एथिक्स रेग्युलेशंस' का पालन करें, लेकिन आरोप है कि कई मामलों में ऐसा नहीं होता है.
अपनी किताब में डॉक्टर गदरे और डॉक्टर शुक्ल ने मरीज़ों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों की बात की है.
अस्पताल में दाखिल होने के पहले ये आठ बातें ज़रूर ध्यान में रखनी चाहिए.
1-इमरजेंसी मेडिकल मदद का अधिकार
अगर कोई व्यक्ति नाज़ुक स्थिति में अस्पताल पहुंचता है तो सरकारी और निजी अस्पताल के डॉक्टरों की ज़िम्मेदारी है कि उस व्यक्ति को तुरंत डॉक्टरी मदद दी जाए. इसका मतलब है सांस लेने में आ रही किसी दिक्क़त को हटाना, खून के नुक़सान की जांच करना, नसों के माध्यम से मरीज़ को तरल पदार्थ देना आदि.
जान बचाने के लिए ज़रूरी स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बाद ही अस्पताल मरीज़ से पैसे मांग सकते हैं या फिर पुलिस को जानकारी देने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं.
ग़रीब मरीज़ों की इमरजेंसी मेडिकल मदद के लिए एक आर्थिक फंड बनाने का प्रस्ताव किया गया था. लेकिन इसमें कोई ठोस प्रगति नहीं हुई.
अपनी किताब में डॉक्टर गदरे और डॉक्टर शुक्ल ने मरीज़ों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों की बात की है.
अस्पताल में दाखिल होने के पहले ये आठ बातें ज़रूर ध्यान में रखनी चाहिए.
1-इमरजेंसी मेडिकल मदद का अधिकार
अगर कोई व्यक्ति नाज़ुक स्थिति में अस्पताल पहुंचता है तो सरकारी और निजी अस्पताल के डॉक्टरों की ज़िम्मेदारी है कि उस व्यक्ति को तुरंत डॉक्टरी मदद दी जाए. इसका मतलब है सांस लेने में आ रही किसी दिक्क़त को हटाना, खून के नुक़सान की जांच करना, नसों के माध्यम से मरीज़ को तरल पदार्थ देना आदि.
जान बचाने के लिए ज़रूरी स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बाद ही अस्पताल मरीज़ से पैसे मांग सकते हैं या फिर पुलिस को जानकारी देने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं.
ग़रीब मरीज़ों की इमरजेंसी मेडिकल मदद के लिए एक आर्थिक फंड बनाने का प्रस्ताव किया गया था. लेकिन इसमें कोई ठोस प्रगति नहीं हुई.
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