मरुस्थलीय क्षेत्रों में वायु कार्य प्रधान क्यों होता है
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मरुस्थलीकरण मुख्यतः मानव निर्मित गतिविधियों के परिणाम स्वरूप होता है उदाहरण के लिए संक्रमण से झाड़ियों से भरे ज़मीनों के गैर देशीय इसकी वजह से वार्षिक घास की ऐसी श्रृंखला पैदा हो सकती है जो कभी मूल पारितंत्र में पाये जाने वाले जानवरों को सहारा नहीं दे सकती
मरुस्थलीय क्षेत्रों में वायु कार्य प्रधान क्यों होता है :
मरुस्थलीय क्षेत्रों में वायु कार्य प्रधान इसलिए होता है, क्योंकि मरुस्थलीय क्षेत्रों में झाड़ व पेड़-पौधों की संख्या बेहद कम पाई जाती है। मरुश्लयी क्षेत्रों में जो भी वनस्पति में पाई जाती हैं, वह अधिक ऊंचाई वाली वनस्पतियां नहीं होती। अधिक ऊंचाई वाले पेड़ पौधों का मरुस्थलीय क्षेत्रों में अभाव होता है, जिससे वायु का बहाव निरंतर होता रहता है। वनों में स्थित ऊंचाई वाले पेड़ पौधे वायु के बहाव को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। उनके अभाव में वायु का निर्बाध बहाव होता रहता है, इसी कारण मरुस्थीलय क्षेत्रों में वायु कार्य प्रधान होता है।
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