India Languages, asked by AnthonyDoan, 10 months ago

Marathi vyayam 10-15 lines ​

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Answered by mahi797
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Explanation:

नायडू जी की दंड का सच्ची स्वरूप यानी राममूर्ति दंड कैसे लगावे,बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी:-

अब तक जितनी भी राममूर्ति जी की दंड लगाने को लेकर बाबा रामदेव से लेकर ओर बहुत सारे कथित व्यायाम पहलवानों की वीडियो देखी होंगी,वे सब की सब बिल्कुल गलत दंड है, इस सब दंडों में बार बार दंड लगाने की रिपीटेशन यानी दोहराना है।जबकि राममूर्ति जी हमारी प्राचीन भारतीय दंड व्यायाम पद्धति पफ़स्सि योग व्यायाम की परंपरा के सर्वश्रेष्ठ महाबली रहें है,न कि ये दंड व्यायाम प्रणाली राममृति जी ने विकसित की थी,बल्कि ये आदिकाल से ही थी।हमारे योगियों ने स्वास्थ्यवर्द्धक व्यायाम प्रणाली की दो धारा विकसित की है- 1-योगासन पद्धति,जो योगियों के ध्यान अभ्यास व समाधि से आयी शारारिक जड़ता को मिटाने ओर अत्याधिक समय तक समाधि में रहने से जो शरीर मे रक्त संचार करने से ओर पेट मे खानपान यानी अन्न आदि की रुकी पाचनतंत्र प्रणाली को फिर से सहजता से चलाने के लिए किए जाने वाले व्यायाम।ओर दूसरे थे, 2-मनुष्य को कैसे कम समय मे अत्यधिक शक्तिशाली बनाने की व्यायाम प्रणाली।यो योगासन अलग हैऔर ये व्यायाम पद्धति बिल्कुल अलग और योगासन से भी अधिक सर्वश्रेष्ठ व्यायाम पद्धति है।इसमें सभी प्रकार के योगासन के लाभ स्वयं ही प्राप्त होते है। यो इस प्राचीन भारतीय दंड बैठक व्यायाम प्रणाली जिसे पफ़स्सि व्यायाम पद्धति कहा जाता है,जो आज राममूर्ति दंड के नाम से विख्यात होने लगी है,उसमें एक ही दंड लगाने में अधिक से अधिक देर तक टाइम यानी समय बढ़ाना होना होता है।ओर साथ ही साथ अपनी सांस को रोके रखने की क्षमता को बढ़ाना होता है,तब आपको इसी एक व्यायाम से 5 शक्तियों की प्राप्ति होती है- 1-पावर, 2-फोर्स, 3-स्ट्रेंथ, 4-स्टैमिना, 5-एनर्जी। ओर असाधारण कुम्भक शक्ति की प्राप्ति।

अब जाने कैसे करें सच्ची राममूर्ति दंड...

सबसे पहले अपने शरीर पर अच्छी तरहां से तेल लगाकर मालिश कर ले,फिरअपने दोनों हाथों को जमीन पर जमा ले,ओर अपने दोनों कंधे के समांतर यानी बराबर रखें तथा अपने दोनों पैरों को भी पास पास थोड़ा अंतर रखकर,अब अपने सारे शरीर को एक सीध में कर ले।तब एक गहरा सांस भरें और धीरे धीरे अपनी सीने को जमीन की ओर अपनी बाहों को कोहनी से बहुत ही धीरे धीरे मोड़ते ओर साथ ही दोनों कोहनियों को अपने सीने की ओर लगाकर ही जमीन तक आये,अब कुछ देर यही रुके ओर अब इसी पोजिशन में रहते हुए अपने शरीर को अपने दोनों पंजों से धकेलते हुए अपने सिर की ओर ही आगे को बढ़ना है और अपने दोनों हाथ को भी कोहनी से मोड़े मोड़े ही आगे की ओर शरीर को धकेलो,इस सारी मुद्रा में सारा शरीर पैरों से लेकर सिर तक एक ही सीध में जमीन से कुछ ही ऊपर को रहता हुआ, जरा सा आगे को बढ़ाना है,तब इसी अवस्था मे लगभग सारा शरीर एक सीध में हो जाएगा और आपकी नाक जमीन से कुछ इंच ही ऊपर रह कर लगी सी हो जाएगी और फिर वहीं रुक कर रुकना भी है,ओर अब जितना सम्भव हो रुककर फिर वैसे ही सारा शरीर सीधा रखकर अपने पंजों के बल से अपने शरीर को पीछे खिंचते हुए,ओर साथ ही दोनों हाथों से भी बिना कोहनी ऊपर को उठाये,पीछे को खिसकना है,यहां ऊपर को बिल्कुल भी नहीं उठाना है,ये याद रहे।इस अवस्था मे सारा शरीर सीधा ही रहेगा,इस बात को सारी दंडों को लगाते में ध्यान रखें।अब धीरे धीरे कंधे ओर कूल्हे से सारा शरीर व सीने को हाथों के बल कोहनियों को भी सीधा करते ऊपर की ओर उठते जाए,ओर पहले की ही मुद्रा में आ जाना है।और यही रुके रहना है।न कि अपने कूल्हों की ओर से उठना है,जैसा की आजकल की प्रचलित दंडों में सर्पासन की तरहां कूल्हों को उठाकर बार बार दंड लगायी जाती है,ये यहां बिलकुल भी नहीं करनी है।ये याद रखनी है,यही यहां समझने की विशेष बात और रहस्य है,जो रामूर्ति कि दंड को इन सभी प्रकार की दंड से बिलकुल ही अलग करती है। अब दूसरी बात है,वो है,की ये एक ही दंड में सीने को जमीन की ओर ले जाने में ही सारा समय धीरे धीरे बढ़ाते जाना है।ओर फिर आगे की ओर बढ़ने इर वहीं रुकने में ओर फिर वहां से वापस लौटने में ही सारा समय लगाना है,यो इन दंडों में बार बार दंड लगाने या दोहराने का बिलकुल भी नियम नहीं है।अव ये ही एक दंड में कम से कम 1 मिनट से समय बढाते हुए 5 मिनट तक समय लगाकर वो एक ही दंड पूरी करनी है।ऐसी ज्यादा से ज्यादा केवल 5 या 10 दंड ही लगानी है,जो एक दंड 5 मिनट में पूरी हुई,यो 10 दंड में 50 मिनट लगेंगे।।

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