मस्तिष्क की संरचना को स्पष्ट कीजिए।
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मस्तिष्क की संरचना एवं कार्य
पूर्णरूप से विकसित मानवीय मस्तिष्क शरीर के भार का लगभग 1/50 होता है और कपाल गुहा (Cranial cavity) में अवस्थित रहता है। विकास की आरम्भिक अवस्था में मस्तिष्क को तीन भागों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें अग्रमस्तिष्क (Fore brain), मध्यमस्तिष्क (Mid brain) तथा पश्चमस्तिष्क (Hind brain) कहते हैं।
अग्रमस्तिष्क
यह मस्तिष्क का आगे का भाग होता है सिमें निम्न रचनाएँ स्थित रहती हैं- प्रमस्तिष्क या सेरीब्रम (Cerebrum)- यह केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र का प्रमुख तथा मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग है। गुम्बज की तरह और नीचे का भाग सुतल होता है। कपाल गुहा (Cranial cavity) का अधिक भाग प्रमस्तिष्क से भरा रहता है। प्रमस्तिष्क एक गहरी लम्बव्त दरार या विदर (Longitudinal cerebral fissure) के द्वारा दाहिने एवं बायें अर्द्ध गोलार्द्धों में विभाजित रहता है। यह पृथक्करण आगे एवं पीछे के भाग पर पूर्ण होता है लेकिन मध्य में ये अर्द्धगोलार्द्ध तन्त्रिका तन्तुओं की चौड़ी पट्टी के द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं, जिसे कॉर्पस कैलोसम (Corpus callosum) कहते हैं। प्रमस्तिष्क की बाहरी सतह को प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स (Cerebral cortex) कहते हैं जो तन्त्रिका कोशिकाओं (Nerve cells) का बना होता है और भूरे रंग का होता है। इसे गे मैटर (Grey matter) कहते हैं।
प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स से नीचे का भाग तन्त्रिका तन्तुओं (एक्सोन्स) से बना होता है और श्वेत रंग का होता है, जिसे व्हाइट मैटर (White matter) कहते हैं। प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स में बहुत से विभिन्न गहराइयों के खाँच बने होते हैं। खाँचों के उभार को कर्णक (Gyrus) कहते हैं और दबे हुए भाग को परिखा या विदर (Sulcus or fissure) कहते हैं, के द्वारा पृथक रहते हैं। इससे प्रमस्तिष्क का सतह खेत्र अधिक बढ़ जाता है। सभी मनुष्यों में उभारों (Gyrus) व दरारों (Sulcus) की सामान्य रूप रेखा समान होती है। तीन मुख्य दरारें (Sulci) प्रत्येक अर्द्धगोलार्द्ध को चार खण्डों (Lobes) में वििभाजित करती हैं, जिनमें वे स्थित होते हैं। मध्य दरार (Central sulcus) अर्द्धगोलार्द्ध के ऊपरी भाग से नीचे एवं आगे की ओर पाश्र्वीय दरार (Lateral sulcus) के ठीक ऊपर तक फैली रहती है; पाश्र्वीय दरार मस्तिष्क के सामने के निचले भाग के पीछे की ओर फैली रहती है तथा पैराइटोऑक्सीपिटल दरार