मशीनी युग ने मानव को निर्दयी बना दिया है। इस पर अपने विचार प्रकट
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मशीन युग के अनेक लाभ हैं पर उसमें कुछ कमियां भी हैं। उदाहरण के लिए कंप्यूटर एक बहुत ही उपयोगी यंत्र है। कंप्यूटर से मानव जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। उसके कारण सब काम आसान हो गये हैं। तीव्र गति से, परिशुद्धता के साथ काम करना संभव हो गया है। आजकल कंप्यूटर का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। सब जगह, बैंक, दफ्तर, कॉलेज आदि में कंप्यूटर से सहज रूप से काम किया जाता है।
वह एक मनोरंजन का साधन है। अनेक विडियो, गाने, चलचित्र आदि हमारा मनोरंजन करते हैं। हम ईमेल, फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया द्वारा अपने मित्रों के साथ संपर्क कर सकते हैं। अब सब संसार के लोग एक दूसरे के करीब आ गए हैं। दुनिया के अलग अलग कोनों में रहने वाले लोग जब चाहें एक दूसरे को देख सकते हैं और बात कर सकते हैं। परन्तु कंप्यूटर एक मजबूरी बन गए हैं। छोटी उम्र में कंप्यूटर का उपयोग करने वाले बच्चे इतने क्रियाशील और फुर्तीले नहीं होंगे। उनका सामान्य जीवन से अधिक संपर्क नहीं होगा क्योंकि वे अपना अधिकांश समय एक यंत्र के साथ बितायेंगे। बच्चे बाहर जाकर अपने मित्रों के साथ खेलने की जगह कंप्यूटर के खेल खेलना पसंद करेंगे। जिससे उनके स्वास्थ्य पर असर हो सकता है। साथ ही वे मित्रता का सुख और ताज़ी हवा के लाभ से वंचित रह जायेंगे।
इसलिए कंप्यूटर कुछ हद तक मनोरंजन का साधन हैं पर लोगों को उनके ऊपर जरुरत से अधिक निर्भर नहीं होना चाहिए।
उसी प्रकार आजकल टेलीफोन हमारे जीवन का एक अटूट अंग बन गया है। उसकी घंटी सुनकर बड़ी खुशी होती है कि कोई हमारा मित्र है जो हमसे बात करना चाहता है। टेलीफोन से दूरियाँ कम हो गयी हैं। हम दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले लोगों से तुरंत संपर्क कर सकते हैं। इमरजेंसी के समय, डॉक्टर अथवा किसी अन्य प्रकार की सहायता प्राप्त करने के लिए टेलीफोन बहुत उपयोगी है।
परन्तु कोई भी चीज़ एक सीमा तक ठीक लगती है। अगर हम किसी से बात नहीं करना चाहते हैं, या एकांत में रहना चाहते हैं तो वह हमारे चैन को भंग करता है। टेलीफोन की हमें इतनी आदत हो जाती है कि हमारा ध्यान हमेशा उसकी ओर आकर्षित रहता है। हम इतनी उत्सुकता से घंटी बजने का इंतज़ार करते रहते हैं कि हमारा किसी और काम में मन नहीं लगता। अगर किसी का फोन नहीं आता है तो हम उदास हो जाते हैं। मित्रों से देर तक बातें करना आदि हमारे लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं और उनके बिना हम रह नहीं पाते हैं। जिससे समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। साथ ही फोन पर खर्च अधिक हो जाता है। इसलिए वह लाभदायक होने के साथ थोड़ा हानिकारक भी हो गया है।
वह एक मनोरंजन का साधन है। अनेक विडियो, गाने, चलचित्र आदि हमारा मनोरंजन करते हैं। हम ईमेल, फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया द्वारा अपने मित्रों के साथ संपर्क कर सकते हैं। अब सब संसार के लोग एक दूसरे के करीब आ गए हैं। दुनिया के अलग अलग कोनों में रहने वाले लोग जब चाहें एक दूसरे को देख सकते हैं और बात कर सकते हैं। परन्तु कंप्यूटर एक मजबूरी बन गए हैं। छोटी उम्र में कंप्यूटर का उपयोग करने वाले बच्चे इतने क्रियाशील और फुर्तीले नहीं होंगे। उनका सामान्य जीवन से अधिक संपर्क नहीं होगा क्योंकि वे अपना अधिकांश समय एक यंत्र के साथ बितायेंगे। बच्चे बाहर जाकर अपने मित्रों के साथ खेलने की जगह कंप्यूटर के खेल खेलना पसंद करेंगे। जिससे उनके स्वास्थ्य पर असर हो सकता है। साथ ही वे मित्रता का सुख और ताज़ी हवा के लाभ से वंचित रह जायेंगे।
इसलिए कंप्यूटर कुछ हद तक मनोरंजन का साधन हैं पर लोगों को उनके ऊपर जरुरत से अधिक निर्भर नहीं होना चाहिए।
उसी प्रकार आजकल टेलीफोन हमारे जीवन का एक अटूट अंग बन गया है। उसकी घंटी सुनकर बड़ी खुशी होती है कि कोई हमारा मित्र है जो हमसे बात करना चाहता है। टेलीफोन से दूरियाँ कम हो गयी हैं। हम दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले लोगों से तुरंत संपर्क कर सकते हैं। इमरजेंसी के समय, डॉक्टर अथवा किसी अन्य प्रकार की सहायता प्राप्त करने के लिए टेलीफोन बहुत उपयोगी है।
परन्तु कोई भी चीज़ एक सीमा तक ठीक लगती है। अगर हम किसी से बात नहीं करना चाहते हैं, या एकांत में रहना चाहते हैं तो वह हमारे चैन को भंग करता है। टेलीफोन की हमें इतनी आदत हो जाती है कि हमारा ध्यान हमेशा उसकी ओर आकर्षित रहता है। हम इतनी उत्सुकता से घंटी बजने का इंतज़ार करते रहते हैं कि हमारा किसी और काम में मन नहीं लगता। अगर किसी का फोन नहीं आता है तो हम उदास हो जाते हैं। मित्रों से देर तक बातें करना आदि हमारे लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं और उनके बिना हम रह नहीं पाते हैं। जिससे समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। साथ ही फोन पर खर्च अधिक हो जाता है। इसलिए वह लाभदायक होने के साथ थोड़ा हानिकारक भी हो गया है।
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This means future men only think about science and the development and do not think about the nature by creating many inventions they are changing the law of nature and destroying it such as global warming cutting of trees and construting new builiding there they are totally selfish and not thinking about their environment they are thinking how to make profit and forget to save the earth their environment their surroundings they are totally selfish thinking of themselves only
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