mata pita ke aadar ke liye teacher aur student ke beech ek samvad
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एक गाँव में एक लड़का रहता था। इस लड़के का नाम रवि था। रवि के पिता एक किसान थे और उनके पास एक बड़ा खेत था। जब रवि छोटा था तो वह घर में बहुत खुशी से खेलता-कूदता था। जब रवि सात साल का हुआ तो वह पाठशाला जाने लगा। अब वह कम खेलता-कूदता था और वह उदास भी रहने लगा था। अध्यापक ने भी रवि के माता-पिता को बताया कि रवि पढ़ाई में अच्छा नहीं है और यह भी कहा कि वह मंद बुद्धि है।रवि के पिता ने अध्यापक की बात सुनकर रवि को पाठशाला जाने से मना कर दिया। रवि की खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि वह भी यही चाहता था । रवि को इतना खुश देखकर उसके पिता को अच्छा लगा। पर उन्होंने उससे कहा कि स्कूल न जाने के बदले उसे एक सेवा करनी होगी। यह सेवा थी कि रवि को सुबह से शाम तक उनके साथ खेतों में काम करना पड़ेगा। यह सुनकर रवि एक बार फिर से उदास हो गया क्योंकि रवि बहुत आलसी था। उसे पता था कि इस सेवा को करने से उसे कुछ न मिलेगा । उसके पिता जो पैसा कमाते थे ,वह उसका रत्ती भर भी हिस्सा रवि को नहीं देते थे और न ही उसकी सेवा के बदले उसे कुछ देंगे।अगले दिन रवि अपनी माँ के पास गया और उनसे पूछने लगा कि खेत में काम करके वह सेवा क्यों करे? तो माँ ने जवाब दिया कि पिता जी अकेले खेतों में काम नहीं कर सकते और इसलिए तुम्हें उनके साथ खेतों में काम करके यह सेवा करनी चाहिए। नए साल पर जब हम सारी फसल बेचेंगे तो हम धनी हो जाएंगे। तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि शहर वाले हमारे फल, चावल और सब्ज़ियाँ खरीदकर और खाकर बहुत खुश रहते हैं। इसलिए हम भी उनकी खुशी देखकर खुश होते हैं। हमको पता है कि हम किसान यदि दुनिया में न हों तो लोग एक दिन भी जीवित न रह पाएंगे । हम किसान सब लोगों की सेवा करने के लिए हैं। बुर्जुगों ने भी तो कहा है कि "कर सेवा, मिलेगा मेवा"।नए साल पर रवि और उसके पिता ने अपनी मेहनत से जो फसल उगाई थी । पकने पर उसे काटा और बेच दिया। उन्हें बहुत धन मिला और वह धनवान हो गए। सभी लोग उनके द्वारा उगाए फल, सब्ज़ियाँ, अन्न आदि खरीदकर मुस्कुराते हुए वापिस खुशी-खुशी जा रहे थे। रवि के पिता ने उसके लिए बहुत सारे नए कपड़े, जूते आदि खरीदे। माँ ने भी उस दिन घर पर रवि और उसके पिता के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाए। सब कुछ पाकर और स्वादिष्ट खाना खाकर रवि बहुत खुश था। अब वह खुशी-खुशी पिता के साथ खेत पर जाता और काम करता।ऐसे ही दिन बीतते जा रहे थे। एक दिन रवि एक आम के पेड़ के नीचे सो रहा था। उसने ही इस पेड़ को अपने हाथों से लगाया था और उसे आज तक पाला-पोसा था। वह उस पेड़ पर चढ़ा और एक आम तोड़ा और खाने लगा। आम का स्वाद बहुत मीठा था। रवि सोचने लगा कि इस पेड़ को पालने-पोसने में उसने बहुत मेहनत की थी। आज आम खाते हुए उसे सारी मेहनत याद आ रही थी। उसे अचानक ही अपनी माँ की कही बात याद आ गई कि सेवा करो, मेवा मिलेगा। आज वह अपनी माँ की कही बात का अर्थ समझ पाया था। सच ही है कि चाहे कोई भी प्राणी हो या पेड़-पौधे यदि हम माँ से किसी की सेवा करते हैं तो हमें बदले में अवश्य मेवा मिलता है।
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