Biology, asked by Anishasingh1047, 8 months ago

मत्स पालन की एकल एवं मिश्रित विधियों में कोई दो अंतर बताइये।

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Answered by suraj62111
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विगत कुछ वर्षों में प्रयोगशाला और उसके बाहर किये गये प्रयोगों से यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि तालाब में उचित मात्रा में रासायनिक खाद, जैविक खाद, स्वस्थ मत्स्य बीज का संचयन और पूरक आहार का प्रयोग किया जाय तो प्रति हेक्टेयर जल क्षेत्र से 3000 से 5000 किलोग्राम मछली का प्रतिवर्ष उत्पादन किया जा सकता है |

मिश्रित मत्स्य पालन द्वारा किसी तालाब में उपलब्ध सभी भोज्य पदार्थ एवं पूर्ण जलक्षेत्र का अधिकतम प्रयोग करने की कोशिश की गई है | अधिक से अधिक उत्पादन के लिए तालाब की तैयारी और देख-रेख को निम्नलिखित चरणों में बांटा जा सकता है | -

1. संचयन पूर्व तालाब की तैयारी

(क) तालाब की भौतिक स्थिति में सुधार : मत्स्य पालन की तैयारी आरंभ करने के पूर्व यह आवश्यक है कि तालाब से सभी बाँध मजबूत और पानी का प्रवेश एवं निकास का रास्ता सुरक्षित हो ताकि वर्षाऋतू में तालाब को नुकसान न पहुंचे तथा तालाब में पानी के आने-जाने से बाहरी मछलियों का प्रवेश न हो और तालाब की संचित मछलियाँ बाहर न भाग सके

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Answered by AbdJr10
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Explanation:

मिश्रित मछली पालन संस्कृति

इस भाग में मिश्रत मछली पालन संस्कृति और उससे होने वाले फायदे बताये गये हैं।

मिश्रित मछली-सह-बतख पालन

तालाब में मछलीपालन के साथ बतख पालन का समन्वित खेती लाभप्रद व्यवसाय है।

मछली सह बतख पालन से प्रोटीन उत्पादन

के साथ बतखों के मलमूत्र का उचित उपयोग होता है। मछली सह बतख पालन से प्रति हेक्टयर प्रतिवर्ष 2500-3000 किलोग्राम मछली, 15000-18000 अण्डे तथा 500-600 किलोग्राम बतख के मांस का उत्पादन किया जा सकता है। इस प्रकार के मछलीपालन में न तो जलक्षेत्र में कोई खाद उर्वरक डालने की आवश्यकताहै, और न ही मछलियों को पूरक आहार देने की आवश्यकता है। मछलीपालन पर लगने वाली लागत 40 से 60 प्रतिशत कम हो जाती है। पाली जाने वाली मछलियां और बतखें एक दूसरे की अनुपूरक होती हैं। बतखें पोखर के कीड़े-मकोड़े, मेढ़क के बच्चे टेडपोल, धोंधे, जलीय वनस्पति आदि खाती हैं। बतखों को पोखर के रूप में साफ-सुथरा एवं स्वस्थ परिवेद्गा तथा उत्तम प्राकृतिक भोजन उपलब्ध हो जाता है तो बतख के पानी में तैरने से पानी में आक्सीजन की धुलनशीलता बढ़ती है जो मछली के लिए आवश्यक है।

मछलीपालन संबंधित व्यवस्थाएं

पोखर का चयन

मछली सह बतख पालन हेतु बारहमासी तालाब चयन किया जाता है, जिसकी गहराई कम से कम 1.5 मीटर से 2 मीटर होना चाहिए।

इस प्रकार के तालाब कम से कम 0.5 हेक्टर तक के हो सकते हैं। अधिकतम 2 हेक्टेयर तक के तालाब इस कार्य हेतु उपयुक्त होते हैं।

2. तालाब की तैयारी

मछली सह बतख पालन हेतु निम्न तरीके से तालाब की तैयारी करते हैं:-

(1) तालाब में पायी जाने वाली जलीय वनस्पति को निकाल देना चाहिए। तालाब में जलीय वनस्पति, मछलियों के विचरण तथा जाल चलाने में बाधक, मछली के शत्रुओं को प्रश्रय, आँक्सीजन संतुलन को प्रभावित तथा तालाब में उपलब्ध पोषक तत्व का शोषण करती है। जलीय वनस्पतियां, यंत्र से या मजदूर से निकलवा देना चाहिए। रासायनिक विधि 2-4 डी, अमोनिया आदि का प्रयोग कर जलीय वनस्पतियों की सफाई की जा सकती है। जैविक विधि अंतर्गत ग्रासकार्प जलीय वनस्पतियों को भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं। अतः ग्रासकार्प के संचयन से जलीय वनस्पति का उन्मूलन हो जाता है।

(2) मांसाभक्षी तथा अवांछित मछलियों का उन्मूलन तालाब में बार-बार जाल चलाकर मांसभक्षी तथा अवांछित मछलियों को निकाल देना चाहिए। शत प्रतिशत मछलियो को निकालना संभव नहीं हो, तो महुआ खली 200 से 250 पी.पी.एम. या 2000 से 2500 किलोग्राम प्रति हेक्टयर अथवा ब्लीचिंग पाउडर 25-30 पी.पी.एम. प्रति हेक्टर की दर से उपयोग करने पर इन मछलियों का उन्मूलन किया जा सकता है। सबसे अच्छा तरीका महुआ खली का प्रयोग है।

3. चूने का प्रयोग

यह पोषक तत्व कैल्द्गिायम उपलब्ध कराने के साथ जल की अम्लीयता बढ़ने पर नियंत्रण हानिकारक धातुओं का अवक्षेपित विभिन्न परजीवियों के प्रभाव से मछलियों को मुक्त रखने, तालाब के घुलनद्गाील आँक्सीजन स्तर को ऊंचा उठाने में प्रभावकारी है। साधारणतः 250 से 350 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से चूने का प्रयोग करना चाहिए।

4. मत्स्यबीज संचय

प्रति हेक्टर 6 हजार से 8 हजार मिली फिंगरलिंग (अंगुलिकाएं) संचय करना चाहिए। सतह का भोजन करने वाली मत्स्यबीज की मात्रा 40%(कतला 25%, सिल्वरकार्प 15%) तथा मध्यम सतहों का भोजन करने वाली मत्स्यबीज की मात्रा 30%(रोहू 20%,ग्रासकार्प 10%) तथा तलीय का भोजन करने वाली मत्स्य बीज की मत्रा 30%(मृगल 20%, कामनकार्प 10%) संचय किया जाना चाहिए।

5. ग्रासकार्प के लिए ऊपरी आहार

ग्रासकार्प के लिए जलीय वनस्पति हाइड्रिला, नाजाम, वरसीम नेपियर आदि भोजन के रूप में देना चाहिए। ग्रासकार्प को भोजन उसके वजन के आधे भार के बराबर दिया जाना चाहिए।

6. मछली वृद्धि की जांच

प्रतिमाह जाल चला कर मछलियों की वृद्धि बीमारी और परजीवियों के आक्रमण की जांच करें, ऐसी कोई समस्या आए तो उपचार करें। जाल चलने से पोखर के तल में एकत्रित दूषित गैस निकल जाती है और पोषक तत्व मुक्त होकर खाद्य श्रृंखला आरंभ करते हैं।

बतखपालन से

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