मधुलिका का चरित्र चित्रण कीजिए
Answers
Answer:
प्रसाद जी द्वारा रचित पुरस्कार कहानी में मधुलिका एक ऐसी पात्र हैं जो अपने आदर्शों की पृष्ठभूमि पर अपनी मानव सुलभ भावनाओं का समर्पण कर देती है । वह एक स्वाभिमानी तथा देशभक्ति से ओतप्रोत कोशल देश की ललना है । उसे अपने पुरखों की भूमि से इतना प्रेम है कि वह उसे बेचना नहीं चाहती।
वह परिश्रमी है और श्रम करके अपना जीवनयापन करती हैै । वह एक विवेकपूर्ण मानिनी है यही कारण है कि वह राजकुमार अरुण के प्रीत -प्रस्ताव को आरंभ में ठुकरा देती है | कालांतर में मधुलिका राजकुमार अरुण के इस प्रेम -निवेदन को मान्य करती है तथापि देश की अस्मिता और पिता की गौरवशाली परंपरा को विस्मृत करना उसकी प्रकृति के विरुद्ध होता हैै ।
अतएव स्वयं के इस अन्तर्द्वंद को लेकर वह अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़कर स्वयं को ही बंदी बनवा लेती है | पुरस्कार स्वरुप कोशलनरेश से स्वयं के लिए प्राणदंड मांगकर अरुण के समीप भी खड़ी हो जाती है । वस्तुत: वह कर्मपथ पर अग्रसर होकर अपनी प्रेम निष्ठा का, मृत्युदंड को पुरस्कार मे मांगकर निर्वहन भी कर देती है ।