मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाल। काव्य का अर्थ
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मधुर मधुर मुस्कान मनोहर , मनुज वेश का उजियाला।
उपर्युक्त उदाहरण में 'म' वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आयेगा
मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला। काव्य का अर्थ ?
'मधुर-मधुर मुस्कान मनोहर मनुज वेश का उजियाला' इस काव्य का अर्थ यह है कि मीठी-मीठी मनोहारी मुस्कान और आकर्षक वेशभूषा से चारों तरफ चमक छा गई है। इस आकर्षण व्यक्तित्व से चारों तरफ उजाला सा फैल गया है। सुंदर मनोहारी धूप और आकर्षक वेशभूषा इतनी शोभायमान प्रतीत हो रही है कि ऐसा लगता है कि चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश फैला हो। इस आकर्षक व्यक्तित्व की चमक से सबकी आँखे चमक उठी हैं।
भोली और मासूम मुस्कान हर किसी के मन को मोहित कर रही है।
#SPJ3
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