मधुर वचन है औषधि कटुक वचन है तीर mata-putra ke beech samvad lekhan
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माँ एवम् पुत्र को बीच संवाद
विषय — मधुर वचन है औषथि कटुक वचन है तीर अर्थात मीठी वाणी दवा के समान होती है और कठोर वाणी तीर की तरह चुभ जाती है।
माँ अपने बेटे हर्ष को पुकारते हुए बोलती है।
माँ — हर्ष इधर आओ।
हर्ष — हाँ माँ क्या हुआ?
मां — आजकल कई दिनों से देख रही हूं तुम बात बात पर गुस्सा हो जाते है। अपने छोटे भाई-बहन राजू और पिंकी से तीखी जुबान में बात करने लगते हो।
हर्ष — माँ, मैं क्या करूँ, वो दोनो मेरी कोई बात ही नही सुनते। तो मुझे गुस्सा आ जाता है।
मां — वह ठीक है लेकिन तुम उनके साथ जिस तरह की व्यवहार करते हो और जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हो वह ठीक नहीं है। वह तुम्हारे छोटे भाई बहन हैं। उन्हें तुम्हें प्यार से समझाना चाहिए।
हर्ष — मां आप ही बताओ मैं क्या करूँ, वो लोग मुझसे ढंग से बात ही नही करते।
माँ — तुमने एक कहावत सुनी है कि ‘मधुर वचन है औषधि कटु वचन है तीर’।
हर्ष — मां, इसका क्या मतलब हुआ।
मां — बेटा, इसका मतलब हुआ कि मधुर वाणी औषधि अर्थात दवा के समान होती है और कठोर वचन-वाणी तीर की तरह चुभ जाते हैं। तुम अगर सबसे मीठे स्वर में बात करोगे तो सब तुम्हारी बात मानेंगे। लेकिन तुम चिल्लाकर, नाराज होकर बात करोगे तो कोई तुम्हारी बात नहीं सुनेगा सब तुमसे दूर भागेंगे। तुम अपने भाई-बहन से हमेशा तीखी जुबान में बात करते हो, इसलिये वो तुमसे बात करने से कतराते हैं।
हर्ष — माँ शायद तुम ठीक कह रही हो।
माँ — तुम मेरी सीख को आजमा कर देखो, सब से सदैव मीठी वाणी में बात करो। सिर्फ अपने भाई-बहन से नही बल्कि हर एक व्यक्ति के साथ मीठी वाणी में बात करोगे तो सब तुम्हे पसंद करने लगेंगे।
हर्ष — ठीक है माँ। मैं आपसे सबसे मीठी वाणी में बात करने का वचन देता हूँ।
माँ — शाबास बेटा
Answer:I hope it will help you.
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