मधु तिष्ठति जिह्वाग्रे हृदये तु हलाहलम्।
वर्जयेत् तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् arth in hindi
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मधु तिष्ठति जिह्वाग्रे हृदये तु हलाहलम्।
वर्जयेत् तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ।।
अर्थ ⦂ ऐसे मित्र से सदैव दूर रहना चाहिए, जो सामने तो मीठी-मीठी बातें करें लेकिन उसके हृदय में विष भरा हो। ऐसा मित्र उस विष भरे घड़े के समान है, जिस जिसके मुख पर दूध लगा है।
दुर्जनः प्रियवादी इति न एतत् विश्वास कारणम् ।
मधु तिष्ठति जिह्व अग्रे हृदये तु हलाहलम्।।
अर्थ ⦂ दुर्जन व्यक्ति यदि कितनी भी मधुर और प्रिय वाणी में बोले लेकिन उसका विश्वास कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि दुर्जन व्यक्ति भले ही कितनी भी मधुर वाणी में बात करें लेकिन उसके मन में हमेशा विष ही भरा होता है।
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम् ।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्।।
अर्थ ⦂ ऐसे मित्र के साथ कभी मित्रता नहीं करनी चाहिए जो सामने तो मीठी-मीठी बातें करें और पीठ पीछे से काम बिगाड़े। ऐसा मित्र मुँह पर दूध लगाए विष के घड़े के समान होता है।
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Explanation:
iam pro iam legend it is very simple so do your self