मध्य प्रदेश के लोगों ने 1857 के विद्रोह मे भाग क्यु लिया ?
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1857 की क्रांति में (मध्यप्रदेश) छोटी-छोटी रियासतों ने अपने बल-बूते पर अंग्रेजी सेना को लौहे के चने चबाने मजबूर कर दिया। ... उस समय रतलाम, जावरा, मंदसौर, नीमच के कई इलाकों में हुमायू ने यहां की रियासतों से संपर्क कर इस क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। जून 1857 में नीमच और मंदसौर में विद्रोह हुआ।
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आज के मध्यप्रदेश की उस समय की छोटी-छोटी रियासतों में 1857 में कानपुर, मेरठ, दिल्ली उठ रहे विद्रोह की आंच यहां तक पहुंच रही थी। ... उस समय रतलाम, जावरा, मंदसौर, नीमच के कई इलाकों में हुमायू ने यहां की रियासतों से संपर्क कर इस क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। जून 1857 में नीमच और मंदसौर में विद्रोह हुआ।
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1857 की क्रांति की आग और हमारा मध्यप्रदेश
6 वर्ष पहले
(फाइल फोटो- ग्वालियर का किला। रानी लक्ष्मीबाई और तात्याटोपे ने 1857 की क्रांति में जीता था। उस समय ग्वालियर महाराजा ने भागकर अंग्रेजों के यहां शरण ली थी।)
मध्य प्रदेश स्थापना दिवस विशेष: 1 नवंबर को प्रदेश का स्थापना दिवस है। इस अवसर प्रदेश के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, कला, विकास और सुनी-अनसुनी कहानियों से आपको अवगत कराएगा। इस कड़ी में आज हम आपको बता रहे हैं प्रदेश की उन रियासतों के बारे में जिन्होंने 1857 की क्रांति में भाग लिया था।
भोपाल. 1857 की क्रांति में (मध्यप्रदेश) छोटी-छोटी रियासतों ने अपने बल-बूते पर अंग्रेजी सेना को लौहे के चने चबाने मजबूर कर दिया। हालांकि रियासतों में आपस में एकता की कमी का नुकसान इनको राजाओं को उठाना पड़ा। इस क्रांति के समय जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देशभर में घूम-घूम कर आजादी की लड़ाई की अलख लोगों में जगा रहे थे।
आज के मध्यप्रदेश की उस समय की छोटी-छोटी रियासतों में 1857 में कानपुर, मेरठ, दिल्ली उठ रहे विद्रोह की आंच यहां तक पहुंच रही थी। तात्या टोपे, नाना साहेब पेशबा की और से भेजे गए स्वतंत्रता संग्राम सेमानी ग्वालियर, इंदौर, महू, नीमच मंदसौर, जबलपुर, सागर, दमोह, भोपाल, सीहोर औऱ विंध्य के इलाकों में जाकर इस क्रांति में भाग लेने के लिए तैयार किया।
इस क्रांति में रोटी और कमल संपर्क का प्रतीक बन गई। रोटी और कमल को गांव-गांव में घुमाया जाने लगा लोग इसको हाथ में लेकर इस क्रांति में भाग लेने का संकल्प लेने लगे। उस समय रतलाम, जावरा, मंदसौर, नीमच के कई इलाकों में हुमायू ने यहां की रियासतों से संपर्क कर इस क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। जून 1857 में नीमच और मंदसौर में विद्रोह हुआ। इसी समय ग्वालियर, शिवपुरी, गुना में भी विद्रोह हो गया।
भोपाल की बेगम ने दिया अंग्रेजो का साथ
जुलाई 1857 में शाद खान ने होल्कर की सेना के साथ छावनी रेसीडेंसी पर हमला किया, यहां से भागे अंग्रेज अफसरों को भोपाल की बेगम ने अपनी रियासत में संरक्षण दिया। उस समय एक तरह से हर रियासत में इस क्रांति की आग फैल चुकी थी।
तालमेल का आभाव
कुछ साल बाद क्रांति का रुख बदल गया। अंग्रेजी सेना ने इसे धीरे-धीरे असफल कर दिया। क्रांति के असफल होने का सबसे बड़ा कारण इन रियासतों के बीच आपस में तालमेल का ना होना माना जाता है। जह इस क्रांति को विफल किया जा रहा था तो इसमें भाग लेने वालों को खुलेआम फांसी पर लटकाया गया।