मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
का उल्लेख कीजिए।
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Explanation:
मध्य प्रदेश के निमाड़, बघेलखंड, बुन्देलखण्ड और मालवा अंचलों की संस्कृति प्राचीन तथा समृद्ध है। माना जा सकता है कि उपर्युक्त सभी अंचलों की लोक संस्कृति का विकास मुख्यतः स्थानीय स्तर पर हुआ है। लोक संस्कृति की इस विकास यात्रा में अनेक महत्त्वपूर्ण पड़ाव आये होंगे जब समाज ने प्रकृति, पर्यावरण, जल, भूमि और वायु के रहस्यों को समझकर अपनाया होगा। उन्हें जीवनशैली का हितैषी अंग बनाने के लिये जुगत की होगी। कुप्रभावों को त्याज्य बनाने के लिये वर्जनायें विकसित की होंगी। यही समझ लोक विज्ञान बनी। इसी लोक विज्ञान में वे सभी तत्व मौजूद हैं जो स्वीकार्य और अस्वीकार्य घटकों और भिन्नता को उजागर करते हैं। निरगुणे इसे ही लोक विज्ञान कहते हैं।
प्राचीन काल में, मौजूदा मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों को अलग-अलग नामों से जाना जाता था। इन अंचलों का उल्लेख पौराणिक गाथाओं और प्राचीन इतिहास में मिलता है। आधुनिक मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों के बारे में ईसा से छह सौ साल पहले से जानकारी मिलती है। यह अच्छी तरह ज्ञात नहीं है कि उन अंचलों की सीमायें कहाँ से कहाँ तक थीं, पर उस कालखंड में बुन्देलखण्ड का इलाका चेदि महाजनपद के अधीन तथा मालवा का इलाका अवन्ति महाजनपद के अधीन तथा अनूप जनपद में निमाड़ का इलाका आता था। प्राचीनकाल में बुन्देलखण्ड क्षेत्र को जैजाकभुक्ति तथा जबलपुर के आस-पास का इलाका डाहल कहलाता था।