Mathrubhumi ki charan dhonevala
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हे मातृभूमि! तेरी ख़ातिर,
लेकर यह अभियान चले।
अपनी जान हथेली पर हम,
तुझ पर होने बलिदान चले।
हम घट-घट के वासी हैं,
जो भी नज़र उठा चले।
हम वीर नहीं-हम वीर नहीं,
इसकी रक्षा करने मिलकर साथ चले।
रोम-रोम बस रोम-रोम,
बस यही हमें याद दिलाता है।
हम रह पाये या न रहें,
यह लेकर मन में प्रतिघात चले।
हमें प्रेम है प्यार बहुत है,
बलिहारी इस पर हम होने चले।
घात-घात है बात-बात है,
घात-बात पर अपना सिर चढ़ा चले।
यह देश नहीं-यह देश नहीं,
हम कहते इसको भारत माता।
जिसने देखा या घात किया,
उसको करने हम ख़ाक चले।
मित्र के साथ मित्रवत् बनें,
हन्त के साथ अरिहन्त बन चले।
देश का जवां बच्चा इस पर,
क्यों न न्यौछावर होना चाहे?
इसे देख सब अचरज में पड़े,
तथा हाथ मलते चले-मलते चले।
इसे देख ऐसा लगता सबको,
हम लोग नहीं सब हैं भारतवासी।
आओ नमन करें सब मिलकर,
जो रक्षा करते चलते चले-चलते चले।
हे मातृभूमि! तेरी ख़ातिर,
लेकर यह अभियान चले।
अपनी जान हथेली पर हम,
तुझ पर होने बलिदान चले।
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