matra bhasa nibhand
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जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है।
गांधीजी देश की एकता के लिए यह आवश्यक मानते थे कि अंग्रेजी का प्रभुत्व शीघ्र समाप्त होना चाहिए। वे अंग्रेजी के प्रयोग से देश की एकता के तर्क को बेहूदा मानते थे। सच्ची बात तो यही है कि भारत विभाजन का कार्य अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोगों की ही देन है। गांधी जी ने कहा था- "यह समस्या 1938 ई. में हल हो जानी चाहिए थी, अथवा 1947 ई. में तो अवश्य ही हो जानी चाहिए थी।" गांधी जी ने न केवल माध्यम के रूप में अंग्रेजी भाषा का मुखर विरोध किया बल्कि राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर भी राष्ट्रीय एकता तथा अखण्डता को प्रकट करने वाले विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा था,
"यदि स्वराज्य अंग्रेजी बोलने वाले भारतीयों को और उन्हीं के लिए होने वाला हो तो नि:संदेह अंग्रेजी ही राष्ट्रभाषा होगी। लेकिन अगर स्वराज्य करोड़ों भूखों मरने वालों, करोड़ों निरक्षरों, निरक्षर बहनों और पिछड़ों व अत्यंजों का हो और इन सबके लिए होने वाला हो, तो हिंदी ही एकमात्र राष्ट्रभाषा हो सकती है।"
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गांधीजी देश की एकता के लिए यह आवश्यक मानते थे कि अंग्रेजी का प्रभुत्व शीघ्र समाप्त होना चाहिए। वे अंग्रेजी के प्रयोग से देश की एकता के तर्क को बेहूदा मानते थे। सच्ची बात तो यही है कि भारत विभाजन का कार्य अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोगों की ही देन है। गांधी जी ने कहा था- "यह समस्या 1938 ई. में हल हो जानी चाहिए थी, अथवा 1947 ई. में तो अवश्य ही हो जानी चाहिए थी।" गांधी जी ने न केवल माध्यम के रूप में अंग्रेजी भाषा का मुखर विरोध किया बल्कि राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर भी राष्ट्रीय एकता तथा अखण्डता को प्रकट करने वाले विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा था,
"यदि स्वराज्य अंग्रेजी बोलने वाले भारतीयों को और उन्हीं के लिए होने वाला हो तो नि:संदेह अंग्रेजी ही राष्ट्रभाषा होगी। लेकिन अगर स्वराज्य करोड़ों भूखों मरने वालों, करोड़ों निरक्षरों, निरक्षर बहनों और पिछड़ों व अत्यंजों का हो और इन सबके लिए होने वाला हो, तो हिंदी ही एकमात्र राष्ट्रभाषा हो सकती है।"
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वर्तमान में हमारे जीवन में हिंदी भाषा की कितनी आवश्यकता है। मातृभाषा होते हुए भी उसे महत्व क्यों नहीं मिल रहा। क्या हिंदी भाषा को पूरी तरह स्थापित करने के लिए हमें संकल्प लेना होगा।
कृषि महाविद्यालयएवं जनशिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को मातृभाषा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मातृभाषा की आवश्यकता विषय पर निबंध लेखन, हमारी मातृभाषा विषय पर चित्रकला एवं हिंदी.. हमारी राष्ट्रभाषा विषय पर महाविद्यालयीन विद्यार्थियों की स्पर्धाएं संपन्न हुई। जिसमें भाषण में छात्रा सलोनी मंडलोई प्रथम, रानू गुप्ता द्वितीय, निबंध लेखन में पंकज पटेल प्रथम, राजनंदिनी वर्मा द्वितीय एवं पोस्टर मेकिंग में नीलम सिंह प्रथम, शगुन नेहरा द्वितीय स्थान पर रहीं। इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी डीन डाॅ. सतीश परसाई ने कहा हिन्दी भाषा हमारी राष्ट्रभाषा है जो हमारे देश में ही उपेक्षा का शिकार हो रही है। राष्ट्रभाषा को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा। इसका कारण हमारा अंग्रेजी के प्रति मोह है। उन्होंने चीन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, इटली जैसे देशों के उदाहरण देकर बताया कि यहां के नागरिक अपनी राष्ट्रभाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त कर उन्नति कर रहे हैं। परंतु हम स्वतंत्र होकर अपनी भाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं। कॉलेज डीन डाॅ. मृदुला बिल्लौरे ने बताया कार्यक्रम में विधायक देवेन्द्र वर्मा मुख्य अतिथि, माधुरी शर्मा विशेष अतिथि, संचालक जनशिक्षण संस्थान अशोक मिश्रा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। कॉलेज के डाॅ. वायके शुक्ला, डाॅ. ओपी शर्मा, सुनील शर्मा, डाॅ. रीता नरवरिया, डाॅ.रेशू तिवारी, यूएस धुर्वे, एसएम संतोरे, आरएल ठाकुर एवं जनशिक्षण संस्थान से मालिनी आर्य, नितिन झा, आयुषी शर्मा इंटेक मौज्ूद थीं।
स्पर्धाओं में विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते अतिथि।
Please mark it as brainliest
कृषि महाविद्यालयएवं जनशिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को मातृभाषा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मातृभाषा की आवश्यकता विषय पर निबंध लेखन, हमारी मातृभाषा विषय पर चित्रकला एवं हिंदी.. हमारी राष्ट्रभाषा विषय पर महाविद्यालयीन विद्यार्थियों की स्पर्धाएं संपन्न हुई। जिसमें भाषण में छात्रा सलोनी मंडलोई प्रथम, रानू गुप्ता द्वितीय, निबंध लेखन में पंकज पटेल प्रथम, राजनंदिनी वर्मा द्वितीय एवं पोस्टर मेकिंग में नीलम सिंह प्रथम, शगुन नेहरा द्वितीय स्थान पर रहीं। इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी डीन डाॅ. सतीश परसाई ने कहा हिन्दी भाषा हमारी राष्ट्रभाषा है जो हमारे देश में ही उपेक्षा का शिकार हो रही है। राष्ट्रभाषा को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा। इसका कारण हमारा अंग्रेजी के प्रति मोह है। उन्होंने चीन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, इटली जैसे देशों के उदाहरण देकर बताया कि यहां के नागरिक अपनी राष्ट्रभाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त कर उन्नति कर रहे हैं। परंतु हम स्वतंत्र होकर अपनी भाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं। कॉलेज डीन डाॅ. मृदुला बिल्लौरे ने बताया कार्यक्रम में विधायक देवेन्द्र वर्मा मुख्य अतिथि, माधुरी शर्मा विशेष अतिथि, संचालक जनशिक्षण संस्थान अशोक मिश्रा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। कॉलेज के डाॅ. वायके शुक्ला, डाॅ. ओपी शर्मा, सुनील शर्मा, डाॅ. रीता नरवरिया, डाॅ.रेशू तिवारी, यूएस धुर्वे, एसएम संतोरे, आरएल ठाकुर एवं जनशिक्षण संस्थान से मालिनी आर्य, नितिन झा, आयुषी शर्मा इंटेक मौज्ूद थीं।
स्पर्धाओं में विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते अतिथि।
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