Matrubhumi ka maan uddeshya
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iss kahahi ka uddeshya hai ki iss kahani dvara aaj ki pidhi mai apni matrubhumi ke prati maan aevum samman dikhana jo ki aaj ke yup mai trupt hota jaa raha hai. lekhak iss kahani ke madhyam se yuva pudhi mai matrubhumi ka samaan avemum samay aane par balidaan dene ki shiksha de rahe hai . ve ye samjana chathte hai ki desh ke prati prem sachha hona chaiye na ki sirf dikhva.
I hope it helps ...please matk it as brainliest..
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इस एकांकी में यह दिखाया गया है कि राजपूत अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बलि देने में तनिक भी संकोच नहीं करते हैं । वे अपनी मातृभूमि को किसी अन्य राज्य के अधीन नहीं देख सकते। उसको सदैव स्वतंत्र देखना चाहते हैं। उसका सदैव मान और उसकी प्रतिष्ठा चाहते हैं । पूरे एकांकी में राजपूतों की मातृभमि के प्रति कितनी अधिक निष्ठा है यही दिखाया गया है । मातृभूमि का मान उनके प्राणों से भी अधिक है। हमें भी अपनी मातृभूमि की मान-मर्यादा के लिए अपना तन-मन-धन न्यौछावर करने को तैयार रहना चाहिए। हमारे जीवन का उद्देश्य यही होना चाहिए-“पहले देश का मान, तब अपनी जान।”
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