Hindi, asked by sukh83, 1 year ago

maut ka dar story in hindi ​

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Answered by toppergirl94
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Answer:

मौत का डर सबसे बड़ा भय होता है और इसी भय के आधार पर ही बाकि सारे डर पैदा होते है ! ये मौत का डर सभी जीव में होता है एक चींटी या मच्छर भी अपनी जान बचाने की कोशिश करता है ! ये डर इसलिए होता है क्योंकि हर जन्म में सभी मरे है और मौत के समय की पीड़ा को सभी ने सहन किया है ! जन्मो-जन्मो की योनियों में आई मौत के संस्कार आज भी चित्त में पड़े होते है जब व्यक्ति मौत के बारे में सोचता है तो वो संस्कार उभर कर आने लगते है और व्यक्ति अन्दर तक डर जाते है! मौत के डर के आधार पर ही अनेक प्रकार के डर व्यक्ति को अन्दर ही अन्दर खाए जाते है कभी नौकरी जाने का डर,कभी व्यापार में घाटे का डर, बच्चो को पढाई का डर, बूढ़े होने का डर, बीमार होने का डर,अपनो के दूर जाने का डर, एक्सीडेंट होने का डर,विनाश का डर आदि-आदि ! इसप्रकार किसी न किसी डर में व्यक्ति रोज़ जीता रहता है ! यही डर व्यक्ति को कमजोर कर रोग और बुढ़ापे की ओर ले जाते है, जैसे बकरी को दिनभर खूब खाना खिलाओ और शाम को उसको शेर दिखा दो ! तो अच्छा खाते-पीते हुए भी वो शेर के डर से पनप नहीं पाएगी बल्कि और कमजोर होती चली जायेगी ! इसीप्रकार ये डर भी व्यक्ति में तनाव, डिप्रेशन या अन्य मन के रोग पैदा कर देता है और शरीर की ऊर्जा शीघ्रता से शरीर से बाहर निकलने लगती है !

कृष्ण गीता में बार-बार कहते है तू शरीर नहीं आत्मा है, अजर अमर व अविनाशी है,आत्मा कभी नहीं मरती! मरता शरीर है ! क्योंकि हम अपने को शरीर मान बैठे है इसलिए मरने का डर सताता रहता है !अध्यात्म साधक को शरीर के भाव से ऊपर उठाकर आत्मभाव में ले आता है जिससे मौत का भय जड़ से ही चला जाता है जिसके जाते ही बाकि सारे भय स्वयं ही नष्ट हो जाते है!

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