megh aaye Kavita Ka kendriya bhav
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मेघ आये. मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के ... इस कविता में मेघ के स्वागत की तुलना दामाद के स्वागत से की गई है। हमारे ...
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प्रस्तुत कविता मेघ आये में कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने मेघों का मानवीकरण द्वारा प्रकृति के विविध रूपों का बहुत सुन्दर चित्रण किया है . ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर जो उल्लास का वातावरण बनता है ,उसी उल्लास को मेघ रूपी मेहमान के रूप दिखाया गया है . बरसात के दिनों में बादल उमड़ -उमड़ कर आसमान में छा जाते है धुल उडती है .बादल नीचे क्षितिज पर झुक आते है बिजली चमकती और बादल बरसने लगते है . कवि ने बादलों को मेहमान के रूप में दिखाया है . यहाँ कविता में मेघों के साथ -साथ ,अमराइयों ,लताओं नदियों एवं पेड़ों का भी मानवीकरण किया गया है.
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