Mein ganit ki pustak bol rahi hoon Is par nibandh
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पुस्तक की आत्मकथा Autobiography of a Book in Hindi
मैं पुस्तक हूं। मुझे तो आप पहचानते ही होंगे, बिल्कुल, क्यों नहीं !! मैं अपने अस्तित्व को कैसे परिभाषित करूं ? अगर आप पुस्तक शब्द का अर्थ देखें, तो वह होगा –“हाथ से लिखी हुई पोथी”, पर यह परिभाषा समय द्वारा सीमित हो गई है, क्योंकि आज के आधुनिक दौर में पुस्तकें हाथ से नहीं लिखी जाती है, अथवा मशीनों द्वारा ही प्रिंट होती है।
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