Hindi, asked by killeice455, 1 year ago

mera parivar summary

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Answered by 20012
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परिवार महादेवी जी ने कुछ विशिष्ट मानवेतर प्राणियों के प्रति अपनी जिस सहज, सौहार्द और एकांत आत्मीयता की अभिव्यंजना का जो अपूर्व कला-कौशल अपने इन चित्रों में व्यक्त किया है, वह केवल उनकी अपनी ही कला की विशिष्टता की दृष्टि से नहीं वरन् संसार-साहित्य की इस कोटि की कला के समग्र क्षेत्र में भी बेमिसाल और बेजोड़ है। ये कृतियाँ मानवीय भावज्ञता, संवेदना और कलात्मक प्रतिभा के अपूर्व निदर्शन की दृष्टि से शाब्दिक अर्थ में अपूर्व और अद्भुत कलात्मक चमत्कार के नमूने हैं। पशु-पक्षियों के साथ प्रतिदिन के साधारण क्रीड़ा-कौतुक की जमीन पर कवयित्री ने अपने जादुई शिल्प के जो नमूने पाठकों के आगे उपस्थित किये हैं, उनमें स्थूल पार्थिव जीवन को सूक्ष्म आध्यात्मिक संवेदना के स्तर तक उभारकर रख दिया गया है। इन गद्य-चित्रों के पात्र भले ही मानव न हों, पर हैं वे सब मानवीय संवेदना की सूक्ष्मतर अनुभूति से ओत-प्रोत। उन सभी मानवेतर पात्रों की गतिविधि की संचालिका के रूप में महादेवी जी का व्यक्तित्व इन चित्रों में अपनी परिपूर्ण मानवीयता के साथ उभरकर पग-पग पर पाठक की चेतना के अणु-अणु में अपने अमृत-स्पर्श का संचार करता चला जाता है। if helpful plzzz brainliest.....
Answered by Anonymous
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महाकवयित्री श्रीमती महादेवी वर्मा ने अत्यन्त विनयवश ही अपनी इस कृति को ‘मेरा परिवार’ नाम दिया गया है। वास्तविकता यह है कि इस महाप्राणशील कवयित्री का परिवार बहुत विशाल हैं- कल्पनातीत रूप से विशाल। पंचतंत्र के जिस पशु-पात्र ने घोर स्वार्थ की प्रवृत्ति से प्रेरित होकर एक दूसरे पशु-पात्र के कानों में यह उपदेश भरा था कि ‘‘उदारचरितानान्तु वसुधैव कुटुम्बकम्’’, उसके भीतर जीव-मात्र के प्रति प्रेम की संवेदना नहीं वरन् अत्यन्त दुष्टतापूर्ण चातुरी भरी थी।
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