Hindi, asked by shrishti30321, 4 months ago

Mera prisir Hindi niband in your words​

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Answered by aditianindita08
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एक छत के नीचे जहां व्यक्तियों का समुह निवास करता है, तथा उनके मध्य खून का संबंध होता है उसे परिवार की संज्ञा से संदर्भित करते हैं। इसके अतिरिक्त शादी का तथा गोंद लेने पर भी यह परिवार के संज्ञा में शामिल हो जाते हैं। मूल तथा संयुक्त यह परिवार के स्वरूप हैं। छोटे परिवार को एकल परिवार या मूल परिवार कहते हैं, इसमें दम्पत्ति के साथ उनके दो बच्चे परिवार के रूप में निवास करते हैं। इसके विपरीत बड़ा परिवार जिसे संयुक्त परिवार के नाम से भी जाना जाता है, इसमें एक पीड़ी से अधिक लोग निवास करते हैं, जैसे दादा-दादी, नाना-नानी, चाचा-चाची आदि।

ऐसे व्यक्तियों का समुह जो आपस में परस्पर खून के रिस्तें या विवाह पश्चात् बनने वाले रिस्तें को साझा करते हैं, वह परिवार कहलाता है। मूल परिवार तथा संयुक्त परिवार, परिवार के प्रकार हैं। समाज में व्यक्ति या तो मूल परिवार में निवास करता है या संयुक्त परिवार का हिस्सा होता है। मेरा परिवार संयुक्त परिवार की श्रेणी में आता है, जिसमें माता-पिता तथा हम तीन भाई बहनों के अलावां दादा दादी भी रहते हैं।

संयुक्त परिवार का छोटा होता स्वरूप

वर्तमान समय के, व्यस्तता भरे जीवन में संयुक्त परिवार का प्रचलन कम होता जा रहा है। अब ज्यादा-तर मूल परिवार ही समाज में देखने को मिलते हैं। जिसमें दम्पत्ति अपने बच्चों के साथ निवास करता है। जीवन के भागा-दौड़ में, संयुक्त परिवार विभक्त होकर जहां मूल परिवार के रूप में परिवर्तित हो गए है, वहीं मूल परिवार का आकार भी अब छोटा होने लगा है। जिसमें पुरूष व स्त्री काम के सिलसिले में अलग निवास करते हैं। बच्चे भी पढ़ाई या अन्य कारणों के वजह से अपने परिवार से दूर निवास करते हैं। यह कहना अनुचित नहीं होगा की परिवार व्यक्ति के इकाई के रूप में परिवर्तित होता जा रहा है।जैसा की हम सभी जानते हैं, व्यक्ति के रहने के लिए “घर” सबसे सुरक्षित स्थान है, उसी प्रकार हम मनुष्य के देख-भाल, चिंता तथा ज़रुरतों की पूर्ति “परिवार” से बेहतर और कोई नहीं कर सकता हैं। व्यक्ति के सही व्यक्तित्व का निर्माण परिवार द्वारा ही सम्भव है। तथा जिस प्रकार व्यक्ति की पहली शिक्षक उसकी माता को माना गया है उसी प्रकार व्यक्ति का पहला पाठशाला उसका परिवार है। मेरे परिवार में रहने वाले दादा जी तथा दादी माँ, बेशक मुझे रोज़ कहानीयाँ नहीं सुनाते पर अपने समय की बाते बताते रहते है, जिसे सुनना अपने आप में एक आनंद है। इसके साथ ही जीवन को सही ढ़ंग से जीने की प्रेरणा मिलती

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