Mera Sapna mera Uttarakhand essay
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मेरा सपना मेरा उत्तराखंड
श्री राम जी ने कहा था - “ जननी जन्मभूमिश्च, स्वर्गादपि गरीयसी ’’ । अर्थात माता और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है । उत्तराखंड हमारे लिए भी स्वर्ग से बढ़कर है ।
आखिर यह हमारी जन्मभूमि ही तो है,
जहां हमने अपने को गौरवान्वित महसूस किया ,
जहां के प्रकृति ने हमे आँचल तले प्यार से पाला ,
हमने स्वप्न के आभासी दृश्य को सच करना सीखा ,
जिसका बल हमे यहाँ के परिवेश ने दिया ,
हमारी इस उत्तराखंड की गाथा,
यूँ ही नही है फैली है संपुर्ण भारत में ,
इनके अन्योन्य सुंदरताओं ने सबको आकर्षित किया ।।
हमारा उत्तराखंड यूं तो 9 नवंबर 2000 को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में उभरा । जिसे उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखंड 2006 के पश्चात गोसित किया गया । कई गर्न्थों में उत्तराखंड का जिक्र मिलता है , यह देवो की भूमि कहलाती है । जो गंगा संपुर्ण भारत के लिए पवित्र मानी जाती है , उसका उद्गम स्थल उत्तराखंड ही तो है । गंगोत्री से उद्गमित गंगा नदी उत्तराखंड भारत का वरदान है । वही यमुना नदी का उदगम स्थल यमुनोत्री भी उत्तराखंड की शान में चार चाँद लगाता है । उत्तराखंड, उत्तर में तिब्बत को , पूर्व में नेपाल, दक्षिण में उत्तरप्रदेश को और पश्चिम में हिमाचल प्रदेश को स्पर्श करता है ।
शिक्षा के क्षेत्र की बात करें तो आप उत्तराखंड को अंकित न करें , ऐसा तो केवल संयोग होगा । देहरादून अपने शिक्षा के लिए यूँ ही नही विश्वप्रसिद्ध है , भारत , नेपाल और तो और तिब्बत चीन के विद्यार्थी गण शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। रुड़की , इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जो कि भारत का सर्प्रथम इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट है , उत्तराखंड में ही तो है
कई सारे विश्वविद्यालय उत्तराखंड में हैं जो लाखों लोगों को निरंतर शिक्षित बना रही है ।
धर्म की बात करे तो हिन्दू बहुसंखयक है । दूसरी सबसे बड़ी संख्या मुस्लिम भाइयों का है । आपको हमारी एकता का दृश्य उत्तराखंड में देखने को मिलेगा , हमारा धर्म भले ही अलग हो पर हमारे दिलों में एक दूसरे के लिए असीम प्यार है । तभी तो वर्षों से हैम एक दूसरे के कंधों को थामे , हाथ से हाथ मिलाये आगे को बढ़ते जा रहे हैं।
उत्तराखंड केवल मेरा जन्मभूमि नही , बल्कि एक सम्मान है जो मुझे गर्व से अपना सर उठाने को प्ररित करती है ।।
श्री राम जी ने कहा था - “ जननी जन्मभूमिश्च, स्वर्गादपि गरीयसी ’’ । अर्थात माता और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है । उत्तराखंड हमारे लिए भी स्वर्ग से बढ़कर है ।
आखिर यह हमारी जन्मभूमि ही तो है,
जहां हमने अपने को गौरवान्वित महसूस किया ,
जहां के प्रकृति ने हमे आँचल तले प्यार से पाला ,
हमने स्वप्न के आभासी दृश्य को सच करना सीखा ,
जिसका बल हमे यहाँ के परिवेश ने दिया ,
हमारी इस उत्तराखंड की गाथा,
यूँ ही नही है फैली है संपुर्ण भारत में ,
इनके अन्योन्य सुंदरताओं ने सबको आकर्षित किया ।।
हमारा उत्तराखंड यूं तो 9 नवंबर 2000 को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में उभरा । जिसे उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखंड 2006 के पश्चात गोसित किया गया । कई गर्न्थों में उत्तराखंड का जिक्र मिलता है , यह देवो की भूमि कहलाती है । जो गंगा संपुर्ण भारत के लिए पवित्र मानी जाती है , उसका उद्गम स्थल उत्तराखंड ही तो है । गंगोत्री से उद्गमित गंगा नदी उत्तराखंड भारत का वरदान है । वही यमुना नदी का उदगम स्थल यमुनोत्री भी उत्तराखंड की शान में चार चाँद लगाता है । उत्तराखंड, उत्तर में तिब्बत को , पूर्व में नेपाल, दक्षिण में उत्तरप्रदेश को और पश्चिम में हिमाचल प्रदेश को स्पर्श करता है ।
शिक्षा के क्षेत्र की बात करें तो आप उत्तराखंड को अंकित न करें , ऐसा तो केवल संयोग होगा । देहरादून अपने शिक्षा के लिए यूँ ही नही विश्वप्रसिद्ध है , भारत , नेपाल और तो और तिब्बत चीन के विद्यार्थी गण शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। रुड़की , इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जो कि भारत का सर्प्रथम इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट है , उत्तराखंड में ही तो है
कई सारे विश्वविद्यालय उत्तराखंड में हैं जो लाखों लोगों को निरंतर शिक्षित बना रही है ।
धर्म की बात करे तो हिन्दू बहुसंखयक है । दूसरी सबसे बड़ी संख्या मुस्लिम भाइयों का है । आपको हमारी एकता का दृश्य उत्तराखंड में देखने को मिलेगा , हमारा धर्म भले ही अलग हो पर हमारे दिलों में एक दूसरे के लिए असीम प्यार है । तभी तो वर्षों से हैम एक दूसरे के कंधों को थामे , हाथ से हाथ मिलाये आगे को बढ़ते जा रहे हैं।
उत्तराखंड केवल मेरा जन्मभूमि नही , बल्कि एक सम्मान है जो मुझे गर्व से अपना सर उठाने को प्ररित करती है ।।
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Mera sapna mera utterakhand
Utterakhand Bharat ka ek bohot hi unnat Pradesh how.Utterakhann bohot tezi we pragati ke path per fair raha hai.Tourism ke vishyya main to poore desh ke hi nhi ballot videshon ke. but sailaani her saal Mussoorie,dehradoon,haridwar,
Rishikesh jaisi jagahon per aate jaate hi rehte hain.
Dehradoon main desh bhar ke bacche hostel main rehker padhne aate hain kyunki yahan is shiksha star bohot hi uncha hai.Bus utterakhand main ab avaid khanan aur drugs or vyapa ke karan bhrashachar badh raha hai.Isiliye humein ab Utterakhand ko Bhrashtachar mukt bnana hai
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