Mere jeevan ki abhilasa essay on ips
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मेरी अभिलाषा है कि मैं एक सफल अध्यापक बनूं । मुझे बचपन से ही पढ़ने का शौक है । मैं परीक्षा के दिनों में अपने छोटे भाई-बहिनों को पढ़ाता रहा हूँ और अपने साथियों की कठिनाईयां दूर करने में उनको सहयोग देता हूँ .
अध्यापक बनने का मेरा संकल्प दृढ़ है । इस का मुख्य कारण यह है कि अध्यापक राष्ट्र निर्माण का उत्तरदायित्व लिए हुए है ।अपने परिश्रम और लग्न से अध्यापक प्रतिवर्ष सैकड़ों बालकों का जीवन निर्माण करता है । उनके जीवन को जीने योग्य बनाता है । वस्तुत: यह पुण्य का कार्य है ।
अध्यापक का कार्य एक दीपक के समान है, जो स्वयं प्रज्वलित होकर दूसरों को प्रकाश देता है । केवल उपाधि प्राप्त करना ही इसके लिए पर्याप्त नहीं होता । अध्यापक का जीवन तपस्यापूर्ण होता है । उसे नैतिक और चारित्रिक दृष्टि से सुदृढ़ होना चाहिए । जो आदर्शपूर्ण है, वही छात्रों के सामने सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है ।
विद्यार्थियों को विषय पड़ाने के अतिरिक्त उन्हें नैतिक दृष्टि से सबल बनाना नितांत अनिवार्य है । उन में अनुशासनबद्धता लाना उस का दायित्त्व है । उनके जीवन का सर्वांगीण विकास करना उस का लक्ष्य है । प्रत्येक विद्यार्थी की योग्यता को प्रस्कुटित कर उसे विकसित करने में ही उसकी सफलता है । मुझे विश्वास है कि एक दिन में अवश्य अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होऊंगा और मेरी अभिलाषा पूर्ण होगी ।
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