Hindi, asked by shivthrock4741, 1 year ago

mere sapno ka bharat essay in 300

words

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Answered by joybiswas100
14

Answer:

Today we are going to explain how to write Mere Sapno Ka Bharat essay in Hindi. Now you can take useful examples to write Mere Sapno Ka Bharat essay in Hindi in 50, 100, 150, 200, 300, 500 and 1000 words essay in your own words. Recently we found questions like my dream India essay in Hindi. is one of the same thing or in Hindi it is called Mere Sapno Ka Bharat essay par nibandh is asked many classes starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. मेरे सपनों का भारत पर निबंध।

MERE SAPNO KA BHARAT ESSAY IN HINDI

hindiinhindi Mere Sapno Ka Bharat Essay in Hindi

मेरे सपनों का भारत पर निबंध MERE SAPNO KA BHARAT ESSAY IN HINDI 300 WORDS

भारत एक महान देश है जहां विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग शांति से एक साथ रहते हैं, हालांकि कुछ चंद लोग अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए अपने ही देश के लोगों को भड़काने की कोशिश करते हैं, जिससे देश की शांति बिगड़ती है। मेरे सपनों के भारत में ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए और सभी जातीय समूह के लोग एक दूसरे के साथ सही तालमेल बनाकर रखें। में कल्पना करता हु कि भारत का आर्थिक और सामाजिक जीवन सभी प्रकार के भ्रष्टाचार से मुक्त होगा और सुख समृद्धि से परिपूर्ण होगा।

मैं भारत को ऐसा देश होने का सपना देखता हूं जहां हर कोई पढ़ा लिखा शिक्षित हो जिससे देश और उंचाइयों को छू सके। हमारे देश के नागरिकों को शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए और देश विरोधी गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। अच्छी शिक्षा से ही उन्हें खुद आभास होना चाहिए कि उनके देश के लिए क्या सही है और क्या गलत। शिक्षा से ही हमारे देश के युवा अपने अपने क्षेत्र में अपने देश का नाम रोशन कर सकते है। हमारे नागरिको को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए की छोटी उम्र में ही बच्चों को नौकरी ना करवा कर, बच्चों को शिक्षा और उनका अधिकार मिले, ताकि वह बड़े होकर अपना और अपने देश का नाम रोशन कर सकें। इसी तरह सरकार भी युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करें ताकि हमारे देश का युवा राष्ट्र के विकास के लिए अपना योगदान दे सके। बेरोजगारी से मुक्त होकर मेरा देश 21 वी सदी में विश्व के महान देशो की सूचि में शामिल होगा।

भारत में एक महान् राष्ट्र बनने की पूरी क्षमता है, अंत में चाहता हूं कि भारत विश्व शक्ति के रुप में उभर कर आगे आए जिसके लिए हम सभी को मिलकर अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ना होगा, जिसके बाद भारत में सुख-चैन, हरियाली, भाईचारा, तथा प्रगति के सिवाय और कुछ नहीं दिखेगा।

गाँधीजी के सपनों का भारत MERE SAPNO KA BHARAT ESSAY IN HINDI 500 WORDS

भारतीय जनमानस में ”बापू” के नाम से लोकप्रिय महात्मा गाँधी भारत के ही नहीं अपितु समस्त विश्व के लिए पूज्य शक्ति हैं। किन्तु क्या कभी हमने इस बात पर विचार किया है कि गाँधीजी ने इतनी भव्य और विराट शक्ति आखिर कहां से और कैसे संगठित की, जिसने उन्हें विश्व के अति विशिष्ट और प्रभावशाली व्यक्तित्वों में शामिल कर दिया? वस्तुत: इस शक्ति के पीछे उनका अपने देश भारत और समस्त मानवता के प्रति उनके हृदय में विद्यमान असीम प्रेम था। उन्होंने एक स्थान पर लिखा है:

” भारत की हर चीज़ मुझे आकर्षित करती है। ऊँची आकांक्षा रखने वाले किसी व्यक्ति को अपने विकास के लिए जो कुछ चाहिए, वह सब उसे भारत में मिल सकता है। भारत अपने मूल स्वरूप में कर्मभूमि है, भोगभूमि नहीं।”

महात्मा गाँधी ने सिर्फ भारत की स्वाधीनता और उसकी स्वतंत्रता की लड़ाई नहीं लड़ी, अपितु उन्होंने भारत के स्वरूप और उसके अर्थ पर भी विचार किया था। उन्होंने भारत के चिरायु बने रहने की ओर संकेत करते हुए एक स्थान पर लिखा है:

“भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से है, जिन्होंने अपनी अधिकांश पुरानी संस्थाओं को भले ही उन पर अन्धविश्वास और मूल-भ्रांतियों की काई चढ़ गयी है, कायम रखा है। साथ ही वह अभी तक अन्ध विश्वास और मूल-भ्रांतियों की काई को दूर करने और अपना शुद्ध रूप प्रकट करने की सहज क्षमता भी प्रदर्शित करता है। उसकी लाखों-करोड़ों जनता के सामने जो आर्थिक कठिनाइयां खड़ी हैं उन्हें सुलझा सकने की उसकी योग्यता में मेरा विश्वास इतना उज्जवल कभी नहीं रहा, जितना आज है।”

वस्तुतः अपने देश के प्रति अगाध प्रेम ही गाँधीजी की के जीवन मूल क्रियात्मक शक्ति था। वैसे आधुनिक युग के कतिपय पाश्चात्य विद्वानों ने भारत के संदर्भ में कुछ मिथ्या प्रचार करने के प्रयास किए हैं, जैसे कि भारतीय समाज एक अस्थिर और अशिक्षित समाज और देश है। किन्तु गाँधीजी ने न केवल इसका प्रबल प्रत्याख्यान किया अपितु उन्होंने पाश्चात्य सभ्यता की अनेक विसंगतियों को भी उघाड़कर विश्व के सामने रख दिया। उन्होंने लिखा है:

“मेरा मानना है कि भारत का ध्येय दूसरे देशों के ध्येय से कुछ अलग है। भारत में ऐसी योग्यता है कि वह धर्म के क्षेत्र में दुनिया में अपनी विजय पताका फहरा सकता है। भारत ने आत्म-शुद्धि के लिए स्वेच्छापूर्वक जैसा प्रयत्न किया है, उसका दुनिया में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। भारत को फौलाद के हथियारों की उतनी आवश्यकता नहीं है, वह दैवी हथियारों से लड़ा है और आज भी वह उन्हीं हथियारों से लड़ सकता है। दूसरे देश पशुबल के पुजारी हैं। यूरोप में अभी जो भयंकर युद्ध चल रहा है, वह इस सत्य का एक प्रभावशाली उदाहरण है। भारत अपने आत्मबल से सबको जीत सकता है। इतिहास इस सच्चाई के एक नहीं प्रमाण दे सकता है कि पशुबल आत्मबल की तुलना में कुछ नहीं है। कवियों ने इस बल की विजय के गीत गाये हैं और ऋषियों ने इस विषय में अपने अनुभवों का वर्णन करके इसकी पुष्टि की है।”

वस्तुतः गाँधीजी की दृष्टि में भारत एक सांस्कृतिक और आत्मबल एवं आत्मशुद्धि पर विश्वास करने वाला महान देश है। इसमें किसी प्रकार की विसंगतियां अथवा अधोगति की स्थितियां कभी भी स्थायी नहीं हो सकतीं। क्योंकि भारत ही मात्र ऐसा देश है जिसने सदैव अपने शुद्ध मानवीय स्वरूप को पुनः पुनः प्रकट किया है।

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