Meri bhav badha haro radha nagri soy ja tan ki jhai pare shyam harit duti hoy mein kaun sa ras h
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मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। इस पंक्ति में भक्ति रस है। भक्ति रस की परिभाषा अनुसार– भगवत् गुण सुनकर जब चित्त उसमें निमग्न हो जाता है, तब 'भगवद्विषयक अनुरांग' नामक स्थायी भाव उत्पन्न होता है; यह विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से संयुक्त होकर 'भक्ति रस' में परिणत हो जाता है। जैसे—मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई। सामान्य हिंदी के अन्तर्गत रस संबंधी प्रश्न पूछे जाते है। जो आपके लिए कर्मचारी चयन आयोग, बीएड., आईएएस, सब इंस्पेक्टर, पीसीएस, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी होते है। .
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