MERI Priya pustak nibandh in Hindi
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पुस्तक का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्त्व होता है | ये उसकी सच्ची साथी व् मित्र होती है | उसके अच्छे व बुरे समय में उसका साथ देती है | उसकी प्रत्येक समस्या का निवारण इनकी सहायता से किया जा सकता है | परन्तु हमे अच्छी पुस्तको का ही अध्ययन करना चाहिए | मन को स्वस्थ व प्रसन्न रखने के लिए अच्छी पुस्तको का अध्ययन आवश्यक है | अच्छी पुस्तको के ज्ञान से मानव की मानसिक व बौद्धिक शक्तियों का विकास होता है | मैंने भी अपने ज्ञान में वृद्धि करने व अपनी ज्ञान – पिपासा को शांत करने के लिए अनेको पुस्तको का अध्ययन किया है परन्तु उन सबमे से मुझे तुलसीकृत रामचरितमानस अर्थात रामायण ने मुझे अधिक प्रभावित किया है | यह ही मेरी प्रिय पुस्तक है |
मेरी प्रिय पुस्तक रामचरितमानस में वे गुण विद्दमान है जो एक श्रेष्ठ पुस्तक में होने चाहिएँ | इस महाकाव्य के नायक श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम है | ये जीवन के सभी क्षेत्रो में त्याग, दया, परोपकार, शौर्य , धैर्य , सहानुभूति , जनरक्षक , कृपालु आदि अनेक गुणों के परिचायक है | इसके रचना का शुभारम्भ संवत 1631 की मार्ग शीर्ष की शुक्ला पंचमी को रविवार के दिन मानी जाती है तथा इसका रचना स्थान अयोध्या व् काशी है | इसकी भाषा अवधी है | यह एक महाकाव्य है जिसमे दोहे और चौपाई छंदों का प्रयोग किया गया है |इसमें श्रीराम का वर्णन एक आज्ञाकारी पुत्र , आदर्श भ्राता , आदर्श पीटीआई, आदर्श मित्र व् आदर्श राजा के रूप में किया गया है | यह पुस्तक अत्यन्त लोकप्रिय है |
यह एक अमरकृति है | यह पुस्तक साहित्य , दर्शन , राजनीति , धर्म और समाजशास्त्र सभी की दृष्टी से सर्वोत्तम है | इसमें मानव जीवन की सभी समस्याओ का समाधान किया गया है | इस पुस्तक में निहित इन सभी गुणों ने मुझे इस पुस्तक का नियोमीत पाठक बना दिया है | आज मै ही नही बल्कि सारा संसार इसका प्रशंसक (उपासक) है | hope it'll help you