meri purani kaksha ka anubhav in hindi essay
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मेरा स्कूल, मेरे मित्र और अध्यापक:
जब मैं छ: वर्ष का हुआ तो मुझे एक छोटे किन्तु अच्छे स्कूल में भर्ती करा दिया गया । जल्दी ही दो-तीन लड़कों से मेरी दोस्ती हो गई । आज तक मुझे बचपन के अपने दोस्तों तथा अध्यापको के चेहरे याद हैं । जब मैं छोटा था, तो मुझे अपने स्कूल के अध्यापक अच्छे नहीं लगते थे क्योंकि कभी-कभी वे मुझे पीट देते थे ।
यह बड़े हर्ष की बात है कि अब पीटने की क्या समाप्त हो गई है । हमें सवेरे ही स्कूल जाना पड़ता था । अन्य अधिकांश बच्चों की ही भांति प्रारभ में मुझे जल्दी उठना और स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था । मेरी मां बड़े प्यार-दुलार से और कभी-कभी डांट कर उठाती ।
मैं बड़े अनमने ढंग से स्कूल के लिए तैयार होता था । लेकिन जब मैं कुछ बड़ा हुआ और स्कूल में दोस्त बन गए तो पढ़ाई में मेरी रुचि बढ़ गई और मैं बड़ी प्रसन्नता से रकूल जाने लगा ।
जब मैं छ: वर्ष का हुआ तो मुझे एक छोटे किन्तु अच्छे स्कूल में भर्ती करा दिया गया । जल्दी ही दो-तीन लड़कों से मेरी दोस्ती हो गई । आज तक मुझे बचपन के अपने दोस्तों तथा अध्यापको के चेहरे याद हैं । जब मैं छोटा था, तो मुझे अपने स्कूल के अध्यापक अच्छे नहीं लगते थे क्योंकि कभी-कभी वे मुझे पीट देते थे ।
यह बड़े हर्ष की बात है कि अब पीटने की क्या समाप्त हो गई है । हमें सवेरे ही स्कूल जाना पड़ता था । अन्य अधिकांश बच्चों की ही भांति प्रारभ में मुझे जल्दी उठना और स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था । मेरी मां बड़े प्यार-दुलार से और कभी-कभी डांट कर उठाती ।
मैं बड़े अनमने ढंग से स्कूल के लिए तैयार होता था । लेकिन जब मैं कुछ बड़ा हुआ और स्कूल में दोस्त बन गए तो पढ़ाई में मेरी रुचि बढ़ गई और मैं बड़ी प्रसन्नता से रकूल जाने लगा ।
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